भारत में महिला और पुरुष में असमानता की खाई में कोई कमी नहीं आई है. वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि स्त्री-पुरुष असमानता सूचकांक में भारत 108वें स्थान पर रहा है.
पिछले साल भी भारत 108वें पायदान पर ही था. यह खाई फिलहाल पूरी दुनिया में बरकरार है. रिपोर्ट के मुताबिक जिस हिसाब से अभी इसके लिए प्रयास हो रहे हैं, इसमें पूरी दुनिया में सभी क्षेत्रों में महिला-पुरुण असमानता को अगले 108 साल तक दूर नहीं किया जा सकता. वर्क प्लेस में ये खाई और ज्यादा है, जिसे पाटने में 200 साल लग सकते हैं.
विश्व आर्थिक मंच ने मंगलवार को वैश्विक स्त्री-पुरुष असमानता रिपोर्ट 2018 जारी की. इसमें खुलासा हुआ है कि भारत में एक ही कार्य के लिये मेहनताने की समानता में सुधार हुआ है. पहली बार तृतीयक शिक्षा में स्त्री-पुरुष असमानता की खाई पाटने में सफलता मिली है. आर्थिक अवसर एवं भागीदारी उप-सूचकांक में देश को 149 देशों में 142वां स्थान मिला है.
विश्व आर्थिक मंच स्त्री-पुरुष असमानता को चार मुख्य कारकों आर्थिक अवसर, राजनीतिक सशक्तिकरण, शैक्षणिक उपलब्धियां तथा स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता के आधार पर तय करता है.
मंच ने कहा कि भारत को महिलाओं की भागीदारी से लेकर वरिष्ठ एवं पेशेवर पदों पर अधिक महिलाओं को अवसर देने तक में सुधार की जरूरत है. मंच ने यह भी कहा कि भारत स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता उप-सूचकांक में तीसरा सबसे निचला देश बना हुआ है. हालांकि इनके अलावा कुछ चीजें सकारात्मक भी हुई हैं। समान कार्य के लिये मेहनताने के स्तर पर भारत ने स्थिति में कुछ सुधार किया है और 72वें स्थान पर रहा है.