संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान और चीन को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी. कश्मीर मुद्दे को यूएनएससी में ले जाने के लिए पाकिस्तान अपने अजीज दोस्त चीन के आगे गिड़गिड़ाया लेकिन फिर भी दोनों की चाल कामयाब नहीं हुई. बैठक के बाद चीन ने ऐसा बयान दिया ताकि पाकिस्तान भी खुश हो जाए और भारत नाराज न हो.
वहीं रूस ने एक बार फिर भारत से दोस्ती निभाते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच का मामला है. दरअसल पाकिस्तान को समर्थन देना अब चीन की मजबूरी बन गया है. चीन के राजदूत ने कहा, यह जाहिर है कि भारत ने जो संवैधानिक संशोधन किया है और इससे स्थिति बदल गई है. चीन ने इस पर चिंता जाहिर की और कहा कि किसी भी एकतरफा फैसले से बचना चाहिए और ऐसा करना वैध नहीं है.
चीन का यह बयान साफ तौर पर दिखाता है कि उसने भारत के प्रति कोई आक्रामक रुख नहीं अपनाया है. उसने वही किया जो पाकिस्तान को खुश करने के लिए वह कर सकता था. पाकिस्तान में चीन ने भारी निवेश किया है. दोनों देशों के बीच 46 बिलियन डॉलर की बड़ी लागत से चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बन रहा है.
इसका मकसद पाकिस्तान से उत्तर पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाईवे के जरिए तेल और गैस की सप्लाई करना है. यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान होते हुए जाएगा. ग्वादर बंदरगाह को इस तरह बनाया जा रहा है ताकि 19 मिलियन टन कच्चा तेल सीधा चीन भेजा जा सके.