श्रीलंका की सबसे बड़ी चिंता है कि वहां अच्छे खाते-कमाते परिवारों के पढ़े-लिखे युवाओं में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का चलन बढ़ रहा है. रक्षा राज्य मंत्री रूवान विजेवर्धने ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा, “आत्मघाती हमलावरों (सुसाइड बॉम्बर्स) के इस ग्रुप में अधिकतर काफ़ी पढ़े लिखे और मध्यम या उच्च मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. इसलिए वे आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं है. उनके परिवारों की माली हालत काफ़ी मज़बूत है. यही चिंता का विषय है.”
विजेवर्धने के मुताबिक सुसाइड बॉम्बर्स में से एक ब्रिटेन में पढ़ा और उसने पोस्ट ग्रेजुएशन ऑस्ट्रेलिया से किया. जांचकर्ता पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उसका माइंडवॉश विदेश में रहने के दौरान ही किया गया या वापस श्रीलंका आने के बाद. जांचकर्ता ये भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इनकी फंडिंग के तार कहां से जुड़े थे. ये भी जांच के पहलुओं में से एक है कि इनका संबंध सीधे आतंकी संगठन ISIS से था या ये सिर्फ़ ISIS से प्रभावित थे. विजेवर्धने ने कहा, “मैं समझता हूं कि ग्रुप से जुड़े कुछ युवाओं ने और देशों में भी शिक्षा हासिल की. उनके पास डिग्रियां हैं, LLMs (क़ानून की डिग्रियां), वो काफ़ी पढ़े लिखे हैं.”
श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट्स में मरने वालों की संख्या 359 पहुंच चुकी है जिनमें 39 विदेशी नागरिक थे. पुलिस ने अब तक 90 लोगों को गिरफ्तार किया है. 32 CID की हिरासत में हैं और बाकी विभिन्न पुलिस स्टेशनों में कैद हैं. भारत लगातार ऐसे हमलों और भविष्य में इनके दोहराए जाने की संभावना को लेकर श्रीलंका को इंटेलीजेंस इनपुट्स देता रहा है. श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को आगाह किया कि विस्फोटकों के साथ कुछ संदिग्ध अब भी पकड़ में नहीं आ सके हैं. रक्षा राज्य मंत्री विजेवर्धने ने दावा किया कि अगले कुछ दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं.