पुलवामा हमले के बाद भारत के बढ़ते दबाव से पाकिस्तान को भारी नुकसान का डर सताने लगा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को चिंता जताते हुए कहा कि भारत की लॉबिंग की वजह से पाकिस्तान को एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है. अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहता है तब भी उसे सालाना दस अरब डॉलर यानी करीब 69 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना होगा.
पुलवामा हमले के बाद बढ़ा पाक पर दबाव
14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव का सामना करना पड़ रहा है. इस हमले की पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने जिम्मेदारी ली थी. लगातार भारत के आतंकी गतिविधियों को रोकने के प्रयासों से पाकिस्तान को एफएटीएफ की काली सूची में आने का डर सताने लगा है. जून 2018 में ही पाकिस्तान को एफएटीएफ ने निगरानी वाले देशों की सूची (ग्रे लिस्ट) में डाला था. बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान साल 2012 से 2015 तक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रह चुका है. पाकिस्तान के खिलाफ यह प्रक्रिया फरवरी 2018 में शुरू हुई थी, जब एफएटीएफ ने अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (International Cooperation Review Group) के तहत निगरानी में पाकिस्तान के नामांकन को मंजूरी दी थी. इसे ग्रे सूची के नाम से जाना जाता है.
पाक ने बताया 15 महीने का एक्शन प्लान
पाकिस्तान द्वारा आतंकी संगठनों को पनाह और फंडिग रोकने के लिए भारत हर मुमकिन प्रयास कर रहा है. गत मार्च में पाकिस्तान का दौरा करने वाले एफएटीएफ के सदस्यों ने प्रतिबंधित आठ संगठनों के खिलाफ जमीनी कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े किए थे. सदस्यों ने कहा था कि प्रतिबंधित संगठनों की अब तक पाकिस्तान द्वारा जांच तक नहीं की गई. वे अब भी धन एकत्र कर रहे हैं और रैलियां कर रहे हैं. जबकि पाकिस्तान एफएटीएफ को जैश, जमात उद दावा और हक्कानी जैसे आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद नहीं करने के पर्याप्त सबूत नहीं दे सका. एफएटीएफ ने पाकिस्तान को रिस्क सुपरविजन को मजबूत करने को कहा, साथ ही टेरर फंडिंग रोकने के संदर्भ में पर्याप्त सबूत देने को कहा है. फिर भी पाकिस्तान इस पर कोई ठोस कार्य नहीं कर सका है. पाकिस्तान की ओर से 15 महीनों का एक एक्शन प्लान रखा गया और बताया गया कि उसके यहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों का धन का रास्ता बंद करने के क्या उपाय किए गए हैं.
क्या है FATF
गौरतलब है कि FATF पेरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है. इसका काम गैर-कानूनी आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है. इसका गठन 1989 में किया गया था. यह मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की दिशा में काम करता है, इसका मुख्यालय पेरिस में है.
क्या है ग्रे लिस्ट
इस लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जो कि अपने देश के फाइनेंसियल सिस्टम को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग होने देते हैं. यदि पाकिस्तान देश ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया जाता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है. इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश पर भी विपरीत असर पड़ता है.