बीजिंग.चीन ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारत तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश जाने की इजाजत देता है तो इससे दोनों देशों के रिश्तों को गंभीर नुकसान होगा। इससे बॉर्डर में जारी शांति को भी नुकसान हो सकता है। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन ने कहा- चीन को जानकारी मिली है कि भारत ने दलाई लामा को अरुणाचल जाने की इजाजत दी है। हमारे लिए ये गंभीर चिंता की वजह है। और क्या कहा चीन ने...
- चीनी फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गेंग शुआंग ने शुक्रवार को मीडिया से कहा- हम दलाई लामा को लेकर आ रही खबरों को लेकर काफी गंभीर हैं।
- बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है। दलाई लामा के यहां आने को चीन हमेशा से अपने इंटरनल मामलों में दखल के तौर पर देखता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल किसी भी वक्त दलाई लामा अरुणाचल जा सकते हैं। भारत सरकार ने उन्हें इसकी इजाजत दे दी है।
- शुआंग ने कहा- चीन दलाई लामा की इस विवादित इलाके में विजिट का विरोध करता है।
चीन का विरोध करते हैं दलाई लामा
- शुआंग ने कहा- दलाई चीन के खिलाफ आंदोलन को भड़काने की कोशिश करते रहे हैं। हमने अपनी फिक्र के बारे में प्रॉपर चैनल के जरिए भारत को बता दिया है।
- उन्होंने कहा- भारत दलाई लामा के मुद्दे की सीरियसनेस को बेहतर तरीके से समझता है। लेकिन अगर फिर भी वो तिब्बती धर्म गुरू को इस क्षेत्र में आने की परमिशन देता है तो इसके दोनों देशों के रिश्तों पर गंभीर नतीजे होंगे। इसके अलावा बॉर्डर पर शांति भी प्रभावित हो सकती है।
- पिछले साल भारत में अमेरिकी एम्बेसेडर रिचर्ड वर्मा भी अरुणाचल गए थे और तब भी चीन ने इसका विरोध किया था। अरुणाचल के कुछ हिस्से पर चीन 1962 की जंग के बाद कब्जा कर लिया था। दोनों देशों के बीच 3,488 km लंबी बॉर्डर पर भी विवाद है। इसको सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है।
भारत अगर तवांग पर दावा छोड़े तो विवाद हल हो जाएगा
- चीन के एक पूर्व डिप्लोमैट ने कहा है कि दोनों देशों की बीच बॉर्डर विवाद सुलझ सकता है अगर भारत तवांग रीजन पर अपना दावा छोड़ दे।
- हालांकि, भारत ने चीन के इस ऑफर को पूरी तरह खारिज कर दिया है। भारत की तरफ से कहा गया कि ये होना नामुमकिन है।