मंडी, 20 मई ( इंद्रा गुप्ता ) : जनता को स्वच्छ व शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए वाटर सेफ्टी प्लान बनाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है। अब तक देश के किसी भी राज्य में पेयजल को लेकर ऐसा प्लान नहीं बना है। अब तक मात्र हैदराबाद में एक पेयजल योजना के लिए वाटर सेफ्टी प्लान बनाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर हिमाचल ने यह पहल की है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 70 लीटर प्रतिदिन और शहरी क्षेत्र में 120 से 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की तर्ज पर पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस समय सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग 9360 पेयजल योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पानी की मांग पूरी कर रहा है।
जलजनित रोगों से बचाव के लिए शुद्ध पेयजल राजधानी शिमला में बीते वर्ष पेयजल भंडारण टैंक में एक मासूम बच्चे का शव मिलने के बाद से आइपीएच महकमा अब सतर्क हो गया है। पेयजल भंडारण टैंकों की साल में दो बार सफाई के अलावा क्लोरिनेशन होगी। पेयजल स्कीमों के कैचमेंट क्षेत्र पर पूरी तरह से निगरानी रखी जाएगी। इन क्षेत्रों में निर्माण कार्य के दौरान होने वाले खुला शौच, चरागाहों की गंदगी, मिट्टी और गाद के अलावा मरे हुए जानवरों के अवशेष पेयजल में शामिल न हों, इसके लिए पहले दौर में डब्ल्यूएचओ से प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स की ओर से जोन स्तर पर अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रक्रिया पांच जून तक पूरी की जाएगी।
जलजनित रोगों से लोगों को बचाने के लिए पेयजल योजनाओं के कैचमेंट से उपभोक्ता तक पहुंचने वाली सारी प्रक्रिया पर निगरानी रखी जाएगी, इसमें सबसे पहले संवेदनशील क्षेत्र चिह्नित किए जाएंगे। प्रदेश में ऐसे 74 संवेदनशील स्थान चिह्नित किए गए हैं। सबसे पहले कार्य संवेदनशील क्षेत्र में शुरू होगा। इसके लिए आइपीएच विभाग की ओर से स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास विभाग के अलावा उपभोक्ताओं को सर्वे में शामिल कर पेयजल योजनाओं के संवेदनशील और सामान्य स्थलों की पहचान कर डाटा तैयार होगा, जो हर कनिष्ठ अभियंता के पास उपलब्ध रहेगा। इससे उन्हें अपने क्षेत्र की पेयजल योजनाओं के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
आइपीएच विभाग के मुख्य अभियंता एचडी सिंह व अधीक्षण अभियंता वीएस राणा का कहना है डब्ल्यूएचओ के मानकों पर खरा उतरने के लिए सरकार एवं आइपीएच मंत्री के निर्देशानुसार हिमाचल में वाटर सेफ्टी प्लान पहली बार तैयार किया गया है। अब तक लोगों को पेयजल उपलब्ध करवाना लक्ष्य था, मगर अब सुरक्षित एवं शुद्ध पेयजल हर उपभोक्ता को उपलब्ध करवाना प्राथमिकता है।