सियोल. साउथ कोरिया की प्रेसिडेंट पार्क ग्वेन हे को पद से हटा दिया गया है। देश की कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट ने शुक्रवार को पार्क ग्वेन पर इम्पीचमेंट (महाभियोग) को बरकरार रखा है। करप्शन के आरोप में पार्क से सभी अधिकार पहले ही छीन लिए गए थे। बता दें पार्क और उनके करीबियों पर करीब 500 करोड़ रुपए के करप्शन का चार्ज है। अब इस फैसले के बाद देश में अगले 60 दिनों के अंदर ही प्रेसिडेंट के चुनाव होंगे।क्या कहा कोर्ट ने...
- कोर्ट में सुनवाई के वक्त एक्टिंग चीफ जस्टिस ली जंग मी ने कहा, ''पार्क ने लॉ और कॉन्स्टिट्यूशन के खिलाफ जाकर लोगों का भरोसा खो दिया है। कॉन्स्टिट्यूशन के साथ ऐसा खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, इसलिए उन्हें प्रेसिडेंट की पोस्ट से हटाया जा रहा है।''
- पार्क ग्वेन साउथ कोरिया की पहली महिला प्रेसिडेंट रहीं। वो कोल्ड वॉर के वक्त तानाशाह रहे पार्क चुंग-ली की बेटी हैं।
- पार्क साउथ कोरिया की पहली ऐसी लीडर हैं जिन्हें डैमोक्रेटिक तरीके से चुना गया और इम्पीचमेंट के चलते पद से हटाया गया।
- साउथ कोरिया के कॉन्स्टिट्यूशन के तहत अब अगले 60 दिनों के अंदर प्रेसिडेंट के इलेक्शन होंगे।
दिसंबर में छीन लिए गए थे अधिकार
- करप्शन के आरोप के बाद पार्क के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे।
- इसे देखते हुए दिसंबर में नेशनल एसेंबली में उनके खिलाफ इम्पीचमेंट चलाने का प्रस्ताव रखा गया था।
- इस प्रस्ताव के सपोर्ट में 234 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में 56 वोट डाले गए थे।
- एसेंबली में प्रस्ताव पास होने के बाद पार्क से प्रेसिंडेट के सारे अधिकार छीन लिए गए थे। यह मामला कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट के पास था।
500 करोड़ रुपए का करप्शन
- पार्क पर अपनी करीबी चोई सून-सिल के साथ कंपनियों को धमकाने और ठेके लेने का आरोप है।
- उनकी साथी सून-सिल पर सैमसंग और हुंडई समेत 51 कंपनियों से 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की चंदा वसूली का आरोप है।
- सून-सिल पर बिजनेस घरानों को धमका कर 81 करोड़ से ज्यादा के ठेके लेने के भी आरोप हैं।
- मामले की जांच करने वाले ली योंग-रेयोल ने कहा था कि, "इन लोगों ने कंपनियों पर दबाव बनाकर फंड जमा किया। इन मामलों में पार्क सह-आरोपी हैं।"