अमृतसर - अग्रजन पत्रिका--- जीवन के सफर में ना जाने कितने मोड़ आपकी राह में आते हैं । उस राह में हमें कई अपने व पराये हमारे सफर को मजबूत करने के लिये सार्थक साबित होते है।और कुछ हमें अनजान समंझ हमें गुमराह कर देते हैं । उस वक्त हमें रिश्तों की अहमियत का अहसास कर अपने हौंसलो को मजबूत कर अपनी मंजिल तक के सफर को गुमराह होने से बचना जरूरी होता है । और अपने दृढ़संकल्प ,अपने विश्वास ओर अपनी खुद की अहमियत से मंजिल तक पहुचना होता है । यह बात "प्रिया द आप्टिमिस्ट " प्रिया भल्ला ने अपने जीवन के कुछ पलों को सांझा करते हुए एक विशेष मुलाकात में हमे बताते हुए कही ।
उन्होंने कहा कि उनका जन्म 1971 में एक वरिष्ठ परिवार में हुआ और माता पिता के इलावा वो तीन बहने हैं । जिसमे से वो सबसे छोटी है । पिता एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में अहम पोष्ट पर कार्य करते थे और माता एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका थी । उनका मन था कि में भी एक शिक्षक बन शिक्षा का ज्ञान बांटू । लेकिन आध्यात्मिक भावनाओं से बंधी मेंने समाज शास्त्र ,इतिहास व अंग्रेजी में तीन मास्टर डिग्री एम ए की हासिल की । ओर एक प्रतिष्ठित स्कूल में अंग्रेजी की शिक्षक के रूप में कार्य करना आरम्भ किया ।
क्योंकि मेरा ध्यान आध्यात्मिक की तरफ होने के कारण मुझे बार बार यह महसूस हो रहा था कि मेंरे जीवन मे कुछ छूट रहा है । एक बार दिल्ली में लगे एक मेले के दौरान वास्तु के लगे स्टाल की ओर गया और उस स्टाल ने मुझे अपनी ओर आकर्षित किया । वहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध वास्तु विशेषज्ञ पल्लवी छलवाडा से हुई । और उनसे बातचीत से इतना प्रभावित हुई जिससे मेरी आध्यात्मिक भावनाओं को एक सहारा मिला । वास्तु ओर फेंगशुई में डिप्लोमा हासिल किया । और शिक्षक के पद से त्याग पत्र दे दिया । त्यागपत्र देने के बाद मेरी मां ने पूरे तीन महीने उनसे बात नही की ।