चंडीगढ़, 29 जून ( इंद्रा गुप्ता ) : शहर के 6 किशोरों ने अपने सपनों को साकार करते हुए 1 घंटा 15 मिनट लंबी अपनी पहली फिल्म ‘शैतान: ए विजन ऑफ मैडनेस’ को बनाया है। इस फिल्म को उन्होंने पूरी तरह से अपने अंदाज में फिल्माया और बनाया है। इस फिल्म का प्रीमियर आज सेक्टर 22 में एक रेस्टोरेंट में किया गया। इस फिल्म के साथ ही उन्होंने ना सिर्फ अपने सपनों को पंख लगाए हैं बल्कि काफी कम उम्र में एक बेहद प्रतिस्पर्धी दुनिया में ऊंची उड़ान करने की हिम्मत भी दिखाई है।
इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए निशांत सिंह भिंडर, आर्यमन प्रताप कुशवाहा, अंगद सिंह, दिवोजत सिंह जटाना, पियूष सिंगला, आर्यन शर्मा ने फिल्म बनाने के अनुभव को बांटा। इसके साथ ही फिल्म इंडस्ट्री में आगे बढऩे के लिए अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बताया।
उन्होंने विवेक हाई स्कूल, चंडीगढ़ के साथ फिल्म प्रोजेक्ट शुरू किया, जहां से उन्होंने हाल ही में 12वीं कक्षा पास की है। उन्होंने प्रोफेशनल्स की तरह फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार कर उसे शूट किया पटकथा, शूट की और संपादित किया।
वे हमेशा फिल्मों को देखना पसंद करते थे और अभिनेताओं के रूप में नाटकों का निरंतर हिस्सा बने रहे। फिल्म बनाने का आइडिया उन्हें एक क्लास टेस्ट के दौरान आया। टेस्ट को पूरा ना कर पाने पर उन्होंने टेस्ट पेपर्स पर सिर्फ अपना नाम लिखकर अपने टीचर्स को सौंप दिया। बाद में स्कूल में किसी जगह पर एक साथ बैठने के बाद उन्हें अपनी एक फिल्म बनाने का आइडिया सूझा और वहीं पर फिल्म के लिए एक सीन भी लिख दिया। जल्द ही उन्होंने इस विचार पर अमल करने के लिए भी सभी को बता दिया। फंडिंग के लिए उन्होंने एक बजट बना कर स्कूल को दिया, जिस पर स्कूल सहमत हो गया।
उन्होंने फिल्म बनाने के आइडिया पर प्रेक्टिल करने और कैमरा, लाइटिंग और संवाद आदि के साथ तालमेल बनाने के लिए असली शूट शुरू करने से 10 दिन पहले एक नकली शूट भी किया और इसमें अपनी अभिनय क्षमताओं को भी परखा।
उन्होंने बताया कि फिल्म का शीर्षक एक चरित्र पर आधारित है लेकिन मुख्य बिंदु यह नहीं ढूंढ पा रहा है कि कातिल कौन है और इस तरह की हत्याओं का उसका उद्देश्य क्या है। इस पर भी फोक्स किया गया कि एक ऐसा शैतान है, जो कि हर किसी पात्र में रहता है। हमने बहुत समय लगाया और फिल्म के लुक्स और सेट्स को तैयार करने में काफी मेहनत की ताकि फिल्म प्रोफेशनल्स का काम लगे और बेहतरीन फिल्म बन कर सामने आए।
यह फिल्म अपनी घिसी पिटी जिंदगी जीने वाले एक कर्मचारी की जिंदगी पर आधारित है जो कि ऑफिस से घर के बीच झूलता रहता है। वह अपने एकमात्र दोस्त के साथ शहर में हो रही रहस्मय हत्याओं का राज जानने के लिए प्रयास करता है और कुछ ऐसे लोगों के साथ भी मिलता है जो कि कुछ अलग ही हैं।
इन युवाओं ने बताया कि यह फिल्म बॉलीवुड की कुछ फिल्मों की तुलना में काफी बेहतर है जो आज हम देखते हैं, जिनके पात्रों को काफी बुरी तरह से गढ़ा गया होता है, साइट्स भी खराब होती हैं और कहानी भी घिसी पिटी होती है। उसमें एक्शन की भरमार, भारी भरकम बजट और महंंगे उपकरण होते हैं लेकिन वे फिर भी एक स्तरीय फिल्म नहीं बना पाते हैं।
जबकि हमारी फिल्म आपको एक सामान्य जिंदगी की परिस्थितियों के आसपास घूमती दिखाई देगी और फिल्म एक मजबूत और अलग कहानी कहती दिखेंगे। अच्छी तरह से तैयार किए गए पात्र भी आपको अपने आसपास मौजूद पात्रों के समान लगेंंगे और एक गहन और बांध कर रखने वाली कहानी दर्शकों को पूरी फिल्म के दौरान अपने साथ बनाए रखती है।
बाद में उन्हें पता चला कि शूटिंग सिर्फ एक मामूली हिस्सा थी और वास्तविक तौर पर पोस्ट प्रोडक्शन सबसे कठिन था क्योंकि फिल्म के अलग अलग दृश्यों को जोडऩे और उनकी डबिंग, बैकग्राउंड स्कोर, संगीत, वीएफएक्स, कलर करेक्शंस आदि में 6 महीने का समय लग गया। फिल्म को उनके मित्र और स्कूल के सीनियर गुरबाज माकन द्वारा संपादित किया गया था और संगीत रेडियो मिर्ची से अभिनव शर्मा द्वारा प्रदान किया गया है।
इसके बाद अब वे एक ही समय में वितरकों को खोजने और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स के लिए आवेदन करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे अपने दायरे और क्रिएटिव क्राफ्ट को एक नए स्तर पर लेकर जा सकें। वे बॉलीवुड को दिखाने की कोशिश कर रहा है कि आपको दुनिया को जीतने के लिए प्रतिभा के अलावा कुछ भी नहीं चाहिए!
इस बीच फिल्म में मुख्य अभिनेताओं में आर्यमन प्रताप कुशवाहा, प्रथम कालड़ा, हिया पारुल शर्मा, सभी 12वीं के स्टूडेंट्स, विक्रमजीत मामिक, स्कूल एडिमिनिस्ट्रेटर, हरजोत सिंह, पीए, वाइस प्रिंसिपल और दीपू मंडल शामिल हैं।