01 अगस्त की बात है रात को करीब 2.00 बजे के आस पास अचानक मुझे पसीना आने लगा और दिल में बहुत तेज दर्द होने लगा मैं तड़पने लगा और जोर से चीख कर बेहोश हो गया I अचानक मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की मैं अल्केमिस्ट हॉस्पिटल में बिस्तर पर पड़ा हूँ और मेरे ऊपर एक सफ़ेद चादर मुहं तक ढकी हुई है |
लेखक : अजय गुप्ता
डॉक्टर बाहर जा रहे हैं, मैं भी उनके पीछे चल दिया | बाहर आकर डॉक्टर ने लोगों को बताया की वो मुझे बचा नहीं पाये | सब लोग रोने लगते हैं और मेरे शरीर को घर ले आते हैं | सुबह हो चुकी है , अरे ये क्या , ये तो मजा आ गया , मेरे अंदर कुछ नयी शक्तियां आ गयी हैं | अब मैं कही भी जा सकता हूँ, उड़ सकता हूँ और लोगों के दिलों की बात जान सकता हूँ | मैंने सोचा चलो मजा लिया जाये , में अपनी बीबी की तरफ देखा वो औरतों के बीच में बैठी थी और सोच रही थी " मैंने पहले ही मना किया था कम खाया करो, वाक किया करो , परन्तु इन्होने मेरी कोई बात नहीं मानी और हमे अकेला छोड़ कर चले गए| अब मैं अपनी बेटी को कैसे पालूंगी , कौन इस की शादी करेगा, घर का खर्चा कैसे चलेगा | खुद तो चले गए , अब मैं अकेले सब कुछ कैसे सम्भालूंगी | इस से अच्छा तो भगवन मझे उठा लेते | " तभी मेरी बेहोश पड़ी बेटी को होश आ जाता है और वो जोर जोर से रोने लगती है | मेरे शरीर से चिपट जाती है " उठो पापा , अपनी बेटी के कहने से एक बार उठ जाओ , अपनी लाड़ली का कहना सुनो | में आप का ख्याल रखूंगी , मेरे पास वापस आ जाओ पापा | आप तो कहते थे की जब मेरी बेटी शादी कर के विदा होगी, सब से ज्यादा मैं रोऊंगा | पर आप तो अपनी लाड़ली को ही रुला रहे हो | पापा मैं आप के बिना नहीं रह सकती , में खाना नहीं खाऊँगी, पानी भी नहीं पियूंगी | मुझे तो सिर्फ मेरे प्यारे पापा चाहियें | मुझे अपनी गोदी में लो पापा , अपनी बेटी को अकेला छोड़ कर मत जाओ पापा " और ये कहते कहते वो फिर रोने लगी, मेरे चेहरे पर प्यार करने लगती है | मैं हाथ बढाता हूँ उसे चुप करने के लिए , पर मेरा हाथ उस के आर पार हो जाता है | मैं रोते-रोते बाहर आ जाता हूँ | बाहर कुछ लोग चुपचाप खड़े है , थोड़ी दूरी पर मेरे ऑफिस के आस-पास के कुछ लोग खड़े बातें कर रहे हैं |
पहला - मार्किट के लोगों को फ़ोन कर के बता दो की अकाउंटेंट की डेथ हो गयी है और ये बताओ की मार्किट का क्या करना है |
दूसरा - मार्किट अंतिम संस्कार होने तक बंद कर देते है |
तीसरा - नहीं यार संस्कार होने में तो अभी बहुत टाइम है, लोग नहीं मानेगें, बहुत नुक्सान हो जायेगा सबका |
दूसरा - पर यार लोग क्या कहेंगे , मार्किट में डेथ हो गयी है और मार्किट खुली हुई है |
पहला - बात तो ठीक है , कोई ऐसा रास्ता निकालो की नुकसान भी न हो और लोगों बुरा भी न लगे |
दूसरा - एक काम करते हैं सब दुकाने बंद कर के दुकानो के आस पास ही खड़े रहतें है , कस्टमर आएगा को थोड़ा सा शटर खोल के सामान दे देंगे.
तीसरा - भाई मैं तो दुकान बंद कर दूंगा , बीबी बहुत दिनों से कह रही है , कपड़ों की सेल ख़तम को जाएगी , में तो शॉपिंग पर जाऊंगा |
दूसरा - चलो अजय के मरने से ये फायदा तो हुआ की पैंडिंग काम करने का टाइम मिल गया, हा-हा-हा |.
तीसरा - हा-हा-हा, यार यहाँ मत हंस , अच्छा नहीं लगता लोग क्या कहेंगे |
दूसरा - सॉरी यार मैं भूल गया था |
ये बाते सुन कर मैं पडोसी के घर गया तो उसकी बीबी उसे कह रही थी की गली वाले गुप्ता की डेथ हो गयी है , वहां जाओगे क्या . वो बोला डार्लिंग मैं तो उसे ज्यादा नहीं जनता , सिर्फ मंदिर जाते हुए कभी कभी राम राम होती है, वैसे भी मुझे आज स्टाफ मेंबर्स के साथ ट्रेड फेयर जाना है | उस की पत्नी बोली , ऐसे अच्छा नहीं लगता , २ मिनट के लिए तो चले जाओ | जानू एक बात बताओ " जो आया है , उसे एक न एक दिन तो जाना ही है , अब अगर मैं सब के मरने पर जाने लगा तो पूरी जिंदगी श्मशान में ही रह जाऊंगा और वैसे भी अगर मैं नहीं गया तो किसी को क्या पता चलेगा | तुम एक काम करना , जब सारे शमशान जाने लगें तो 5 मिनट के लिए चले जाना , हाजरी लग जाएगी , और अगर कोई मेरे बारे में पूछे तो कह देना मम्मी बहुत बीमार है , में उन्हें अस्पताल ले कर गया हूँ ".
अब मुझे थोड़ी नींद आने लगती है , में वहीँ अपने घर के सामने पेड़ पर बैठ कर सो जाता हूँ | बॉडी को यहाँ रखो , बॉडी को कफ़न ढक दो , आदि आवाजें सुन कर मेरी नींद खुलती है | मेरे प्यारे सुन्दर शरीर को चारों तरफ से मेरे रिश्तेदारों ने घेर रखा होता है , परंतू ये क्या सब मुझे बॉडी कह रहें हैं | कोई मुझे मामा, चाचा, ताऊ, मौसा , फूफा , जानू या दोस्त नहीं कह रहा , सब को जल्दी है मेरे शरीर को श्मशान ले जाने की. " अरे रुको मैं अपना घर छोड़ के नहीं जाना चाहता, इसे मैंने बड़ी मुश्किल से बनाया है , अरे कोई मुझे कपडे तो पहना दो, अगर ये सफ़ेद चाद्दर हट गयी तो मैं नंगा हो जाऊंगा | " पर मेरी बात कोई नहीं सुन रहा | मैं रोने लगता हूँ " मुझे नहीं जाना , मैं नहीं जाऊंगा | अभी तो मेरी बेटी सिर्फ 15 साल की है , वो मेरे बिना नहीं रह सकती | तुम मुझे ले गए तो गंदे लोगों से उस की रक्षा कौन करेगा | ये तो मेरी एकलौती बेटी है | कम से कम इस की शादी तक तो रुक जाओ | अरे इस के लिए कौन लड़का ढूंढेगा | जब इस की सास इसे परेशान करेगी तो कौन उस से लड़ने जायेगा | नहीं मुझे मत ले कर जाओ , मैं अपनी बेटी के बिना नहीं रह सकता , मुझे नहीं जाना मैं आप सब के हाथ जोड़ता हूँ , पैर पड़ता हूँ , मुझे मत ले कर जाओ | परन्तु मेरी बात कोई नहीं सुनता | सब घड़ी देख रहे हैं , तभी कोई बोला, जल्दी करो " सूरज ढलने से पहले ही अंतिम संस्कार करना जरुरी है नहीं तो लाश को पूरी रात घर में रखना पड़ेगा , ज्यादा देर हो गयी तो लाश में से बदबू आने लगेगी ", और लोगों ने मुझे कंधो पर उठा लेते हैं |
" राम नाम सत्य है, सत्य बोलो गत है " , मैं फिर जोर-जोर से रोने लगा " नहीं मुझे नहीं जाना , मेरे बाद मेरी बेटी का क्या होगा, कौन उस का ख्याल रखेगा , मुझे छोड़ दो , मुझे नहीं जाना" पर मेरी कोई नही सुनता और घर से चल पड़ते हैं. भीड़ में पीछे मेरे कुछ क्लाइंट भी हैं .
राम इंटरनेशनल : बताओ कितने गलत टाइम पर मर गया , अगर दो दिन और रुक जाता तो कम से कम मेरी बैलेंस शीट तो पूरी कर देता |
गोपाल हार्डवेयर : अरे तुझे तो अपनी बैलेंस शीट की पड़ी है , मुझसे तो दो दिन पहले ही 15000 रपये एडवांस लिए थे , मेरा तो पैसों का नुकसान हो गया |
राम इंटरनेशनल : कोई बात नही सोच ले 15000 रुपए दान कर दिये |
गोपाल हार्डवेयर : हाँ अब तो यही सोच कर तसल्ली करनी पड़ेगी , इस की बीबी तो देने से रही |
कृष्णा क्रिएटर्स : क्या देने से रही , हा - हा- हा |
राम इंटरनेशनल : चुप कर ******* , तुझे यहां भी यही सब सूझ रहा है. हीं - हीं - हीं |
इतने में हम मंदिर के बाहर आ गए . वहां एक जवान लड़का भीख मांग रहा था , साथ में उसकी 8 साल की बच्ची भी थी | मेरा दोस्त श्याम लाल बोला शर्म नहीं आती, हट्टा-कट्टा हो कर भीख मांगता है | इस पर भिखारी बोला , क्या करूँ बाबूजी , 12 साल पहले दिवाली पर पटाखा आँख में लगने से अँधा हो गया था , बहुत कोशिश की , बहुत इलाज कराया , पर ठीक नही हो पाया | डॉक्टर कहतें हैं की यदि कोई व्यक्ति मरने के बाद आँखे दान कर देगा तो मेरे आँखों की रौशनी वापस आ जाएगी | पर बाबूजी 12 साल हो गए मुझे आँखे नहीं मिली.
श्याम लाल - भई जब आँखे चली गयी थी तो बच्चे पैदा करने जरूरी थे क्या , खुद तो भूखा मर ही रहा था , इसे भी मरने की लिया पैदा कर दिया.इस पर भिखारी बोला " बाउजी ये मेरी बच्ची नहीं है , इस बच्ची की माँ भी 6 साल पहले मर गयी थी , बेचारी अनाथ हो गयी | अब मै ही किसी तरह इसे पाल रहा हूँ | " ये बात सुन कर श्याम लाल उसे 200 रूपये दे देता है " अच्छा ये ले और हाँ इन पैसों से शराब मत पी लियो |
और लो अब हम शमशान में आ गए| यहां कुछ लोग पहले से ही हमारा इंतजाम कर रहे हैं. सब लोग मुझे लकड़ियों पर लिटा देते हैं | कुछ लोग आपस में बातें कर रहें हैं
अरुण : पता चला डेथ कैसे हुई |
अविन्दर : नही , कुछ पता नही चला , रात तो सीने में दर्द हुआ और बस 3 घंटे में ही डेथ हो गयी |
अरुण : इसका मतलब डेथ हार्ट-अटैक की वजह से हुई है |
अविन्दर : ओ नहीं सेठ जी , बीमारी तो काफी टाइम से चल रही थी , बहुत सारे टेस्ट भी कराये , पर बीमारी का पता ही नहीं चल पाया |
अरुण : पता नहीं , ये डॉक्टर भी क्या करते हैं | थोड़ा सा कुछ हो जाये तो टेस्ट पर टेस्ट करते रहते है | जिंतनी साइंस तरक्क़ी कर रही है , उतनी ही बीमारियां बढ़ती जा रहीं हैं |
संदीप : डॉक्टर भी बेचारे क्या करें | नयी नयी बीमारियां आ रही हैं |
अविन्दर : तो उन्हें रिसर्च करनी चाहिए |
संदीप : भाई , रिसर्च तो कर लें परंतू उसके लिए मृत शरीर चाहिए होता है , और कोई भी व्यक्ति अपना मृत शरीर दान नहीं करता |
जगमोहन : शरीर दान करने से क्या होगा ?
संदीप : शरीर दान करने से डॉक्टर्स उस शरीर पर नए-नए एक्सपेरिमेंट्स करते हैं जिससे नयी खोज की जाती है, और शरीर दान करना मुश्किल नहीं है | इसके लिए सिर्फ एक विल फॉर्म भरना होता है | विल फॉर्म भर कर उसे P.G.I. के एनॉटॉमी डिपार्टमेंट में देना है. वहां से एक डोनेशन कार्ड बन कर आएगा |
जगमोहन : फिर ?
संदीप : फिर क्या , बस जब डेथ हो तो कोई भी व्यक्ति डोनेशन कार्ड के पीछे लिखे नंबरों में से किसी पर भी फ़ोन कर दे | फ़ोन करने के बाद अस्पताल से वाहन और डॉक्टर्स आएंगे और शरीर को ले जायेंगे |
अविन्दर : तो क्या शरीर का कोई भी हिस्सा अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिलेगा ?
संदीप : अरे , जब शरीर दान ही कर दिया तो शरीर के टुकड़े का क्या करना |
अरुण : अरे संदीप सब बकवास बातें हैं | अगर शरीर दान कर दिया तो भूत बन के भटकना पड़ेगा , क्योंकि जिस शरीर का अंतिम संस्कार नहीं होता , उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती और वो हमेशा भटकता रहता है |
अविन्दर : ये तो सोच सोच की बात है | मैं तो सोचता हूँ की जब हम आने वाली जनरेशन के लिए आपने शरीर का दान करेंगे तो कुछ भी बुरा नहीं होगा | क्योकि भगवन अच्छा काम करने वालों के साथ बुरा नहीं कर सकता |
इतने में वहां एक डेड बॉडी और आ जाती है | मैं वहां जाता हूँ तो पता चलता है की वो डेड बॉडी एक २२ साल के लड़के की है जिसकी डेथ PGI में कल रात को ही हुई है. वो अपने माँ बाप का इकलोका लड़का था | गलत सांगत में पड़ कर ज्यादा शराब पीने से उसकी दोनों किडनी और लिवर खराब हो गए थे | माँ बाप करोड़पति हैं | बहुत कोशिश करी, परन्तु कोई भी ऑर्गन नहीं मिला और बेचारे की कल रात मृत्यु हो गई |
तभी मेने देखा की लोग मुझे जला रहें हैं | मुझे बहुत जलन होने लगी है , दर्द हो रहा है, दम घुट रहा है , मै जोर जोर से हाथ पैर मरने लगता हूँ , जोर से चीखने लगता हूँ |
ट्रीन .... ट्रीन .... ट्रीन ....
पापा उठो 6:00 बज गए हैं , मुझे स्कूल छोड़ कर आ जाओ | और मैं एक दम से उठ जाता हूँ | हे माता रानी मैं तो जिन्दा हूँ | मैं भाग कर अपनी वैष्णवी को अपने गले से लगा लेता हूँ |
और कुछ देर बाद मैं नहा कर तैयार हो जाता हूँ |
पत्नी : आज बहुत जल्दी तैयार हो गए ?
मैं : हाँ , बहुत जरुरी काम है , कहीं जाना है |
पत्नी : मुझे पता है , मनसा देवी जा रहे होगे |
मैं : नहीं , माता रानी के दर्शन से भी ज्यादा जरुरी काम है | पहले वो काम करूँगा , फिर अपनी माँ के दर पर माथा टेकने जाऊंगा |
और मैं गाड़ी निकाल बेटी के साथ उस के स्कूल की तरफ चल देता हूँ |
बेटी : पापा , आप कहाँ जाओगे |
मैं : P.G.I.
बेटी : P.G.I. , पर क्यों पापा आप तो ठीक हो |
मैं : बेटे आज बहुत जरुरी काम है | आज आप के पापा समाज और आप के प्रति अपनी ड्यूटी पूरी करने जा रहें हैं |
बेटी : वो कैसे पापा |
मैं : मेरे प्यारे बेटे आज आप के पापा अपने मरने के बाद अपनी आँखे , शरीर के अंग और अपने मृत शरीर को दान करने के फॉर्म भरने जा रहे है |
बेटी : उससे क्या होगा पापा |
मैं : मेरी लाडो रानी , मेरी आँखों से कोई अँधा देखेगा , मेरे शरीर के अंग किसी मरते आदमी की जान बचाएंगे और मेरे मृत शरीर पर रिसर्च कर के डॉक्टर्स नयी - नयी बिमारियों का इलाज ढूंढ़ेंगें |
बेटी : सच पापा | क्या आप सचमुच ऐसा करोगे | पापा आप कितने अच्छे हो | थैंक यू माता रानी, आप ने मुझे इतने अच्छे पापा दिए | पापा मै भी बड़े होकर आप के जैसे सारे फॉर्म भरुंगी और ये कह कर मेरी प्यारी बेटी मेरे गलों को चूम लेती है " मेरे प्यारे पापा , मेरे गोलू मोलू पापा , कितने प्यारे हैं |
अपनी बेटी के मुँह से ये बाते सुन कर मेरी आँखों से आंसू आने लगते हैं और मैं उसे स्कूल छोड़ कर P.G.I. की तरफ ऐसे चल देता हूँ जैसे माता रानी ने मुझे जीने का मकसद दे दिया हो . अब तक तो शायद मैं सिर्फ ऐसे ही जी रहा था |