*अपने घर में व्रक्ष कब और कैसे लगाऐंगे,चार तिलक का रहस्य आओ जानें*
हिन्दू धर्म मानता है कि प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है। हिन्दू धर्म को वृक्षों का धर्म कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता। इसके अलावा एक बरगद, एक अनार, एक कड़ीपत्ता, एक जामफल, एक तुलसी, एक नींबू, एक अशोक, एक चमेली, एक चम्पा का वृक्ष लगाने से निरोगी काया रहकर घर में धन, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
नुकसान-
1.कदम्ब, केला और नींबू जिसके घर में उत्पन्न होता है उस घर का मालिक कभी विकास नहीं करता।
2.पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा कांटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित कहे गए हैं।
3.कहते हैं कि पूर्व में पीपल, अग्निकोण में दुग्धदार वृक्ष, दक्षिण में पाकड़, निम्ब, नैऋत्य में कदम्ब, पश्चिम में कांटेदार वृक्ष,
उत्तर में गुलर, केला, छाई और ईशान में कदली वृक्ष नहीं लगा चाहिए। किसी वास्तुशास्त्री से सलाह लें।
4.पूर्व में लगे फलदार वृक्ष से संतति की हानि, पश्चिम में लगे कांटेदार वृक्ष से शत्रु का भय, दक्षिण में दूधवाले वृक्ष लगे होने से धननाश होता है। ये वृक्ष पीड़ा, कलह, नेत्ररोग तथा शोक प्रदान करते हैं। हालांकि ये वृक्ष घर की किसी भी दिशा में नहीं हो तो ही अच्छा है।
5.बैर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैक्टस के पौधे नहीं लगाएं।
5.जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है।
6.आवासीय परिसर में दूध वाले वृक्ष लगाने से धनहानि होती है।
7.महुआ, पीपल, बरगद घर के बाहर होना चाहिए। केवड़ा और चंपा को लगा सकते हैं।
8.जिन पेड़ों से गोंद निकलता हो अर्थात चीड़ आदि घर के परिसर में नहीं लगाने चाहिएं। यह धन हानि की संभावना को बढ़ाता है।
9.घर की दक्षिण दिशा में गुलमोहर, पाकड़, कटहल के वृक्ष लगाने से अकारण शत्रुता, अर्थनाश, असंतोष व कलह होने की संभावना रहती है।
10.दक्षिण पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण की ओर पलाश, जवाकुसुम, बरगद, लाल गुलाब अशुभ एवं कष्टदायक होते हैं। इस दिशा में लाल फूलों के वृक्षों व लताएं तथा कांटे वाले वृक्ष अनिष्टकारक एवं मृत्युकारक माने गए हैं।
11.घर की पूर्व दिशा की ओर पीपल और बरगद के वृक्ष लगाने शुभ नहीं होते। इनसे स्वास्थ्य हानि, प्रतिष्ठा में कमी एवं अपकीर्ति के संकेत मिलते हैं।
फायदा-
1.तुलसी और केले के पेड़ को ईशान या उत्तर में लगाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
2.घर के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए।
3.घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए। पौधारोपण उत्तरा, स्वाति, हस्त, रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए। ऐसा करने पर रोपण निष्फल नहीं होता।
4.घर के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल अशोकादि) लगाने चाहिए। इससे शुभता बढ़ती है।
5.जिस घर की सीमा में निगुंडी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होती।
6.जिस घर में एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है।
7.जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो, उसे पलाश का पेड़ लगाना चाहिए।
8.जिस व्यक्ति को संकटों से मुक्ति पाना और निरोगी रहना हो उसे घर के दक्षिण में नीम का वृक्ष लगाना चाहिए।
9.जिस व्यक्ति को राहु के दोष दूर करना हो उसे चंदर का वृक्ष लगाना चाहिए।
10.जिस व्यक्ति को शनि से संबंधित बाधा दूर करना हो उसे शमी का वृक्ष लगाना चाहिए।
11.उत्तर दिशा में पीपल, ईशान कोण में लटजीरा, पूर्व में गूलर, आग्नेय कोण में ढाक या पलाश, दक्षिण में खैर लगाया जाता है।
12.अनार का पौधा घर में लगाने से कर्जे से मुक्ति मिलती है।
13.हल्दी का पौधा लगाने से घर में नकारात्मक उर्जा नहीं रहती।
14.नीले फूल वाली कृष्णकांता की बेल से आर्थिक समस्याएं खत्म होती हैं।
15. नारियल के पेड़ से मान-सम्मान में खूब वृद्धि होती है।
16.अशोक का वृक्ष लगाने से घर के बच्चों की बुद्धि तेज होती है।
17. तुलसी, आंवला और बहेड़ा का पौधा घर में लगाने से बीमारी नहीं आती है।
18.गेंदा लगाने से बृहस्पति मजबूत होता है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।
19 बांस का पेड़ लगाने से तरक्की होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। निगेटिव एनर्जी भी दूर होती है।
20.गुड़हल का पौधा लगाने से कानून संबंधी सभी काम पूरे हो जाते हैं।
21.बेलपत्र का पौधा लगाने से पीढ़ी दर पीढ़ी लक्ष्मी जी का वास बना रहता है।
22.घर की पूर्व दिशा में गुलाब, चंपा, चमेली, बेला, दुर्वा, तुलसी आदि के पौधे लगाने चाहिएं। इससे शत्रुनाश, धनसंपदा की वृद्धि व संतति सुख प्राप्त होता है।
23.घर की दक्षिण दिशा में नीम, नारियल, अशोक के वृक्ष लगाना शुभ होता है।
ग्रहों के पेड़-
सूर्य- मदार, तेज फल का वृक्ष। इनसे बौद्धिक प्रगति, स्मृति शक्ति का विकास होत है।
चंद्र- दूध वाले पौधे, वृक्ष, पलाश। इनसे मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
मंगल- नीम और खैर का वृक्ष। इनसे रक्त विकार तथा चर्म रोग ठीक होते हैं। प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
बुध- चौड़े पत्ते वाले पेड़ पौधे और लटजीरा और अपामार्ग या आंधी झाड़ा का पौधा। इसके स्नान से वायव्य बाधा का शमन व मानसिक संतुलन बना रहता है।
गुरु- पीपल का वृक्ष। इससे पितृदोष शमन, ज्ञान वृद्धि तथा भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
शुक्र- बेल जैसे मनीप्लांट, अमरबेल और गूलर। गूलर पूजना से पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है।
शनि- कीकर, आम, खजूर और शमी। शमी पूजन से धन, बुद्धि, कार्य में प्रगति, मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा बाधाएं दूर होती हैं।
राहु- चंदन, दूर्बा, कैक्टस, बबूल का पेड़ और कांटेदार झाड़ियां। चंदन की पूजन से राहु पीड़ा से मुक्ति तथा सर्प दंश भय समाप्त होता है।
केतु- कुशा, अश्वगंधा, इमली का वृक्ष, तिल के पौधे या केले का वृक्ष। अश्वगंधा के होने से मानसिक विकलता दूर होती है।
जड़- सूर्य बेलमूल की जड़ में, चंद्र खिरनी की जड़ में, मंगल अनंतमूल की जड़ में, बुध विधारा मूल की जड़ में, गुरु हल्दी की गांठ वह जड़ में, शुक्र अरंडमूल की जड़ में, शनि धतूरे की जड़ में, राहु सफेद चंदन की जड़ में, केतु अश्वगंधा की जड़ में निवास करता है।
नोट- सूर्य के साथ शनि, राहु और केतु के, चंद्र के साथ शनि, राहु के, मंगल के साथ शुक्र व शनि के, बुध के साथ केतु और गुरु के, गुरु के साथ केतु, शुक्र और बुध के, शुक्र के साथ केतु और बुध के, शनि के साथ चंद्र, मंगल और सूर्य के, राहु के साथ केतु, सूर्य व चंद्र के, केतु के साथ राहु, गुरु, चंद्र, मंगल, सूर्य के पेड़ पौधे ना लगाएं वर्ना होगा नुकसान।
27 नक्षत्रों के वृक्ष- अश्विनी के लिए कोचिला, भरणी के लिए आंवला, कृतिका के लिए गुलहड़, रोहिणी के लिए जामुन, मृगशिरा के लिए खैर, आर्द्रा के लिए शीशम, पुनर्वसु के लिए बांस, पुष्य के लिए पीपल, अश्लेषा के लिए नागकेसर, मघा के लिए बट, पूर्वा के लिए पलाश, उत्तरा के लिए पाकड़, हस्त के लिए रीठा, चित्रा के लिए बेल, स्वाती के लिए अर्जुन, विशाखा के लिए कटैया, अनुराधा के लिए भालसरी, ज्येष्ठा के लिए चीर, मूल के लिए शाल, पूर्वाषाढ़ के लिए अशोक, उत्तराषाढ़ के लिए कटहल, श्रवण के लिए अकौन, धनिष्ठा के लिए शमी, शतभिषा के लिए कदम्ब, पूर्वाभाद्रपद के लिए आम, उत्तराभाद्रपद के लिए नीम और रेवती नक्षत्र के लिए उपयुक्त फल देने वाला महुआ पेड़ उत्तम बताया गया है।
*किस राशि के लिए कौन सा पेड़-पौधा*
मेष और वृश्चिक- अनार का पेड़ लगाएं।
वृषभ और तुला राशि- नारियल, आम और पपीते के पेड़ लगाएं।
कर्क राशि- शरीफा, रसभरी या खिरनी के पेड़-पौधे लगाएं।
सिंह राशि- बेल का वृक्ष लगाएं।
कन्या और मिथुन राशि- संतरा, नींबू और मौसंबी के पेड़ लगाएं।
धनु या मीन राशि- केले या बरगद का पेड़ लगाएं।
मकर या कुंभ राशि- पीपल, चूकी या नीम का पेड़, काले अंगूर की बेल लगाएं।
नोट- उक्त ग्रह अच्छे हैं तो पेड़ लगाकर उसके फलों या औषधि का लाभ लें और यदि खराब हैं तो दान करें। लेकिन ध्यान रखें कि पेड़ किस दिशा में किस नक्षत्र में लगाना चाहिए यह जरूर जान लें।
*घर में पेड़ लगाने से हरियाली आती है और घर में रहने वाले लोग हमेशा स्वस्थ्ा रहते हैं, लेकिन कई बार आपके लगाए पेड़ अच्छे परिणाम नहीं देते।*
असल में कई बार उनमें भी वास्तु दोष होता है। हम आपको यहां बता रहे हैं कि घर में कौन सा पेड़ लगाना चाहिए और कौन सा नहीं। साथ ही ये भी जानिए कि घर में पेड़ कहां लगाना चाहिए। आइए जानते हैं वृहतसंहिता के अनुसार घर में कौन सा पेड़ किस दिशा में लगाया जाए तो, वह शुभ फल देगा-
1- बरगद का वृक्ष पूर्व में, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पिलखन एंव दक्षिण दिशा में गूलर का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है। यही वृक्ष अगर विपरीत दिशाओं में हो तो, अशुभ फल देने लगते है। घर के समीप कांटेदार वृक्ष शत्रुभय उत्पन्न करते हैं एंव दूध वाले पेड़ धन का नाश करते है।
2. नीम: सामान्यत: लोग घर में नीम का पेड़ लगाना पसंद नहीं करते, लेकिन घर में इस पेड़ का लगा होना काफी शुभ माना जाता है। पॉजिटिव एनर्जी के साथ यह पेड़ कई प्रकार से कल्याणकारी होता है।
3. तुलसी: हिन्दू धर्म में इस पौधे का खास महत्व है। तुलसी के पौधे को एक तरह से लक्ष्मी का रूप माना गया है। यदि आपके घर में किसी तरह की निगेटिव एनर्जी मौजूद है, तो यह पौधा उसे नष्ट करने की ताकत रखता है। हां, ध्यान रखें कि तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह आपको फायदे के बदले काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
4. आंवला: घर में आंवले का पेड़ लगा हो और वह भी उत्तर दिशा और पूरब दिशा में तो यह अत्यंत लाभदायक है। यह आपके कष्टों का निवारण करता है।
5. केला: केले का पौधा धार्मिक कारणों से भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है। गुरुवार को इसकी पूजा की जाती है और अक्सर पूजा-पाठ के समय केले के पत्ते का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए घर में केले का पेड़ ईशान कोण में हो तो बेहतर है। कहते हैं इस पेड़ की छांव तले यदि आप बैठकर पढ़ाई करते हैं तो वह जल्दी जल्दी याद भी होता चला जाता है।
6. बांस: बांस का पौधा घर में लगाना अच्छा माना जाता है। यह समृद्धि और आपकी सफलता को ऊपर ले जाने की क्षमता रखता है।
7. आम: ज्यादातर घरों में आम के पेड़ लगे होते हैं और लोग बड़े शौक से अलग-अलग तरह के आम का पेड़ लगाते हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसका घर के आसपास लगा होना आपको किस तरह की हानि पहुंचा सकता है? दरअसल घर के पास आम का पेड़ होना आपके बच्चों पर बुरा असर डालता है। ऐसे पेड़ शौक से तो कभी न लगाएं और यदि पहले से मौजूद हो तो आप यह कर सकते हैं कि इस पेड़ के पास ऐसे पेड़ लगाएं जो शुभ माने जाते हैं। जैसे- नारियल, नीम, अशोक आदि का पेड़ आप लगा सकते हैं।
8. नारियल: जिनके घर में नारियल के पेड़ लगे हों, उनके मान-सम्मान में खूब वृद्धि होती है।
*तिलक चार प्रकार के होते हैं आओ जानें*
1- कुमकुम
2- केशर
3- चंदन
4- भस्म
कुमकुम ----
हल्दी चुना मिलकर बना होता है जो हमारे आज्ञा चक्र की शुद्धि करते हुए उसे केल्शियम देते हुए ज्ञान चक्र को प्रज्व्व्लित करता है।
केशर -----
जिसका मस्तिष्क ठंडा शीतल होता है उसको केसर का तिलक प्रज्ज्वलित करता है।
चंदन - दिमाग को शीतलता प्रदान करते हुए मानसिक शान्ति भी देता है।
भस्मी----
वैराग्य की अग्रसर करते हुए मस्तष्क के रोम कूपों के विषाणुओं को भी नष्ट करता है।
तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं है बल्कि कई वैज्ञानिक कारण भी हैं इसके पीछे। तिलक केवल एक तरह से नहीं लगाया जाता। हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं, उन सबके अपने अलग-अलग तिलक होते हैं।
आइए जानते हैं कितनी तरह के होते हैं----
तिलक सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं।
शैव----
शैव परंपरा में ललाट पर चंदन की आड़ी रेखा या त्रिपुंड लगाया जाता है।
शाक्त----
शाक्त सिंदूर का तिलक लगाते हैं। सिंदूर उग्रता का प्रतीक है। यह साधक की शक्ति या तेज बढ़ाने में सहायक माना जाता है।
वैष्णव----
वैष्णव परंपरा में चौंसठ प्रकार के तिलक बताए गए हैं। इनमें प्रमुख हैं----
लालश्री तिलक----
इसमें आसपास चंदन की व बीच में कुंकुम या हल्दी की खड़ी रेखा बनी होती है।
विष्णुस्वामी तिलक------
यह तिलक माथे पर दो चौड़ी खड़ी रेखाओं से बनता है। यह तिलक संकरा होते हुए भोहों के बीच तक आता है।
रामानंदी तिलक-----
विष्णुस्वामी तिलक के बीच में कुंकुम से खड़ी रेखा देने से रामानंदी तिलक बनता है।
श्यामश्री तिलक-----
इसे कृष्ण उपासक वैष्णव लगाते हैं। इसमें आसपास गोपीचंदन की तथा बीच में काले रंग की मोटी खड़ी रेखा होती है।
अन्य तिलक----
गाणपत्य, तांत्रिक, कापालिक आदि के भिन्न तिलक हैं!!
*धर्म ज्ञान चर्चा के लिए मुझे सम्पर्क कर सकते हैं*