ग्रहण को हालांकि आज नई पीढ़ी भले ही केवल खगोलीय घटना मान कर लापरवाही करती हैं,मगर ये पूरी तरह वैज्ञानिक घटना हैं जिसके मानव जीवन और प्रकृति पर प्रभाव बेहद असर डालता है।आज पंडित कृष्ण मेहता आपको बता रहे हैं ग्रहण से जुड़ी बारिकियां और ग्रहण काल मे क्या क्रे क्या ना करे ।खास तौर पर ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला जरूर बरतें ये सावधानियां।25 दिसंबर को शुक्र भी राशि परिवर्तन कर किसे क्या रंग दिखायेगा आपको पंडित कृष्ण मेहता बतायेंगे किस राशि को शुक्र का परिवर्तन क्या लाभ हानि करेगा क्या होंगे उपाय।
ये होगा ग्रहण समय ,सूतक काल---
26दिसंबर 2019 को पोष अमावस्या को सूर्य ग्रहण है जो सम्पूर्ण भारत मे दिखाई देगा।ग्रहण सुबह 8 बज कर 4 मिंट पर शुरू होकर सुबह 10 बज कर 56 मिंट तक रहेगाग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर 2019 को रात्रि 8 बजे से प्रारम्भ हो जाएगा।वही 25 दिसम्बर 2019 को रात्रि 8 बजे से पहले पूजा पाठ सम्पूर्ण कर ले और 26 दिसम्बर 2019 को 11 बजे के बाद ही अपने मंदिरों के पट खोले
शुक्र का मकर राशि में गोचर, सभी 12राशियों का फलादेश
26 दिसम्बर 2019 को सूर्यग्रहण यह ग्रहण उत्तर भारत में खंडग्रास व दक्षिण भारत में कंकणाकृति के रूप में नजर आएगा | (सूरत में ग्रहण सुबह - 08:04 से 10 : 56 तक ।
ग्रहण में क्या करें, क्या न करें ?
सूतक से पूर्व
ग्रहण के सूतक से पूर्व गंगाजल पियें ।
सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्रग्रहण से तीन प्रहर (9 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढ़े, बालक, रोगी और गर्भवती महिलाएँ डेढ़ प्रहर ( साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं ।ग्रहण के कुप्रभाव से खाने-पीने की वस्तुएँ दूषित न हों इसलिए सभी खाद्य पदार्थों एवं पीने के जल में तुलसी का पत्ता अथवा कुश डाल दें ।पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय या कुत्ते को डालकर ग्रहण के बाद नया भोजन बना लेना चाहिए । सम्भव हो तो ग्रहण के पश्चात् घर में रखा सारा पानी बदल दें ।ग्रहण के समय पहने हुए एवं स्पर्श किए गए वस्त्र आदि अशुद्ध माने जाते हैं । अतः ग्रहण पूरा होते ही पहने हुए कपड़ों सहित स्नान कर लेना चाहिए ।
ग्रहण से पूर्व की सावधानी---
ग्रहण से 30 मिनट पूर्व गंगाजल छिड़क के शुद्धिकरण कर लें ।ग्रहणकाल प्रारम्भ होने के पूर्व घर के ईशान कोण में गाय के घी का चार बातीवाला दीपक प्रज्वलित करें एवं घर के हर कमरे में कपूर का धूप कर दें ।
ग्रहण के दौरान सावधानी--
ग्रहण के दौरान हँसी-मजाक, नाच-गाना, ठिठोली आदि न करें क्योंकि ग्रहणकाल उस देवता के लिए संकट का काल है, उस समय वह ग्रह पीड़ा में होते हैं । अतः उस समय भगवन्नाम-जप, कीर्तन, ओमकार का जप आदि करने से संबंधित ग्रहों एवं जापक दोनों के लिए हितावह है ।
भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं “सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (ध्यान, जप, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है । यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदाई होता है ।ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है । ग्रहणकाल में कुछ भी क्रिया न करते हुए केवल शांत चित्त से अपने गुरुमंत्र का जप करें एवं जिन्होंने गुरुमंत्र नहीं लिया है वे अपने इष्टदेव का मंत्र या भगवन्नाम का जप करें ।
चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप, ध्यान करने से कई गुना फल होता है । श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का आठ हजार जप करें । ग्रहणशुद्धि के बाद उस घृत को पी लें । ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाकसिद्धि प्राप्त कर लेता है ।ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव पूजन तथा श्राद्ध तथा अंत में वस्त्रोंसहित स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं ।ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए । सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करनेवाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है । (देवी भागवत)ग्रहण के समय निद्रा लेने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है । गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए ।ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदो को वस्त्र दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए । ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन ये सब कार्य वर्जित हैं ।
ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है । (स्कंद पुराण)भूकम्प एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए । (देवी भागवत)।ग्रहण को देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
ग्रहण के पश्चात् क्या करें ?----
ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए ।आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित ओरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है ।ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । ग्रहण के स्नान में गरम की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडा जल में भी दूसरे के हाथ से निकले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकला हुआ, निकले हुए की अपेक्षा जमींन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा समुद्र का जल पवित्र माना जाता है ।ग्रहण के बाद स्नान करके खाद्य वस्तुओं में डाले गये कुश एवं तुलसी को निकाल देना चाहिए ।सूर्य या चन्द्र जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए ।
गर्भवती माताओं-बहनों के लिए ग्रहणकाल में विशेष ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातें-----
गर्भिणी अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल तक निकाल देना चाहिए । बालों पर लगी पिन या नकली गहने भी उतार दें ।.ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला या चोटी में कुश धारण कर लें ।
ग्रहण के समय गर्भवती चाकू, कैंची, पेन, पैन्सिल जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग न करे क्योंकि इससे शिशु के होंठ कटने की सम्भावना होती है । सूई का उपयोग अत्यंत हानिकारक है, इससे शिशु के हृदय में छिद्र हो जाता है । किसी भी लोहे की वस्तु, दरवाजे की कुंडी आदि को स्पर्श न करें, न खोले और न ही बंद करें । ग्रहणकाल में सिलाई, बुनाई, सब्जी काटना या घर से बाहर निकलना व यात्रा करना हानिकारक है ।ग्रहण के समय भोजन करने से मधुमेह (डायबिटीज) का रोग हो जाता है या बालक बीमार होता है । ग्रहणकाल में पानी पीने से गर्भवती स्त्री के शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो जाती है, जिस कारण बालक की त्वचा सूख जाती है ।लघुशंका या शौच जाने से बालक को कब्जियत का रोग होता है । गर्भवती वज्रासन में न बैठे अन्यथा शिशु के पैर कटे हुए हो सकते हैं । शयन करने से शिशु अंधा या रोगी हो सकता है । ग्रहणकाल में बर्तन आदि घिसने से शिशु की पीठ पर काला दाग होता है ।
ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है । उस दौरान निकले रेडियेशन से गर्भस्थ शिशु के विकास में रुकावट आ सकती है । कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार इसके कारण शिशु तनाव में भी जा सकता है ।गर्भवती ग्रहणकाल में अपनी गोद में एक सूखा हुआ छोटा नारियल (श्रीफल) लेकर बैठे और ग्रहण पूर्ण होने पर उस नारियल को नदी अथवा अग्नि में समर्पित कर दे ।ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर व तुलसी-पत्तों का रस (रस न मिलने पर तुलसी-अर्क का उपयोग कर सकते हैं) का गोलाई से पेट पर लेप करें । देशी गाय का गोबर न उपलब्ध हो तो गेरूमिट्टी का लेप करें अथवा शुद्ध मिट्टी का ही लेप कर लें । इससे ग्रहणकाल के दुष्प्रभाव से गर्भ की रक्षा होती है ।
वही 25 दिसम्बर 2019 को शुक्र का राशि परिवर्तन भी होगा जो लोगो को अलग-अलग तरह से प्रभावित करेगा।
शुक्र का मकर राशि में गोचर, सभी 12राशियों का फलादेश
शुक्र ग्रह 25 दिसंबर 2019 को मकर राशि में गोचर करने जा रहै है, शुक्र रविवार को मकर राशि में प्रवेश करेगे, 9 जनवरी 2020 तक शुक्र इसी राशि में विराजमान रहने वाला है, शुक्र के मकर राशि में होने वाले इस गोचर का असर सभी 12 राशियों पर जरूर पड़ेगा...
-मेष- शुक्र ग्रह का गोचर आपकी राशि से दशम भाव भाव में होगा, शुक्र के गोचर के दौरान आपको अपने कार्यक्षेत्र में मनचाहा फल मिलेगा, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काम करने का आपका तरीका आपके सीनियर्स को प्रभावित करेगा. पारिवारिक जीवन में आपको सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।यदि किसी बात को लेकर घर के किसी सदस्य से आप नाराज थे तो इस समय आप बातचीत के द्वारा सारे गिले-शिकवों को दूर कर देंगे।वैवाहिक जीवन की बात की जाए तो आपका जीवनसाथी एक फरिश्ते की तरह इस समय आपको नजर आ सकता है।
उपाय:- जीवनसाथी को कोई उपहार देना आपके लिए शुभ रहेगा।
वृषभ- शुक्र ग्रह के इस गोचर के दौरान आपका नवम भाव सक्रिय अवस्था में रहेगा, इस राशि के कई जातकों को अपने कार्यक्षेत्र में प्रमोशन मिलने के आसार हैं, आप नई जॉब के लिए प्रयास भी कर सकते हैं, व्यवहार में शालीनता इस दौरान देखी जा सकती है जिससे हर कोई आपके करीब आने की कोशिश करेगा, शुक्र के प्रभाव से आपको इस समय अच्छे मित्रों की संगति मिलेगी, यात्रा करना भी इस दौरान इस राशि के लोगों के लिए अच्छा रहेगा।
उपाय:- मां दुर्गा की उपासना करें और उन्हें श्वेत पुष्प चढ़ाएं।
मिथुन- शुक्र देव आपकी राशि से अष्टम भाव में गोचर करेंगे, इस भाव से जीवन में आने वाले उतार-चढ़ावों के बारे में विचार किया जाता है. इस राशि वालों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है इस समय आपके अंदर कामुकता की भी अधिकता देखने को मिल सकती है जिसकी वजह से आपकी एकाग्रता में कमी आ सकती है।इस दौरान कामयाबी पाने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास करना होगा. परिवार में पैसों की तंगी भी आपको घेर सकती है। छात्रों के लिए यह समय बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता क्योंकि आपका मन इस गोचर के दौरान बार-बार भटक सकता है. *उपाय:* छोटी कन्याओं को खीर या बताशे बांटें।
कर्क- शुक्र ग्रह आपकी राशि से सप्तम भाव में गोचर करेगा। यह गोचर आपके वैवाहिक और प्रेम जीवन के लिए अच्छा रहेगा।जीवनसाथी के साथ रोमांटिक पल बिता पाएंगे वहीं दूसरी ओर प्रेम में पड़े इस राशि के जातक अपने पार्टनर को शादी का प्रस्ताव दे सकते हैं. नौकरी पेशा से जुड़े इस राशि के जातक कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर पाने में सफल होंगे। यह बात याद रखें कि आप दूसरों को तभी सहारा दे सकते हैं जब आप शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ हों, अगर आप खुद कमजोर हैं तो ना आप अपनी मदद कर पाते हैं और न ही दूसरों की।
उपाय: इत्र का इस्तेमाल करना आपके लिए शुभ रहेगा।
सिंह-शुक्र देव का गोचर आपकी राशि से षष्ठम भाव में होने जा रहा है. इस भाव को शत्रु भाव के नाम से भी जाना जाता है. छठे भाव में शुक्र का गोचर आपके लिए जीवन में कुछ चुनौतियां लेकर आ सकता है इसलिए इस गोचर काल में आपको थोड़ा संभल कर चलने की जरुरत है. आपके शत्रु इस समय एक दोस्त की तरह आपके सामने आ सकते हैं लेकिन उनकी दोस्ती एक दिखावा होगी और अंत में वो आपको धोखा ही देंगे. नौकरी पेशा से जुड़े लोगों को ऑफिस में किसी जूनियर की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. छात्रों के लिए यह समय बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता, आपका ध्यान पढ़ाई से बार-बार भटकेगा. इस राशि के जातक भी थोड़ा संभलकर रहें.
उपाय: शिव जी को सफेद चंदन अर्पित करें.
-कन्या- शुक्र का गोचर आपके पंचम भाव में होगा. यह भाव संतान भाव भी कहलाता है और इससे आपकी बुद्धि और ज्ञान के बारे में भी विचार किया जाता है. अपने परिवार में सकारात्मक बदलाव करने के लिए आप कुछ गंभीर निर्णय भी इस समय ले सकते हैं. आपके फैसलों से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आने की पूरी संभावना है. अगर आप नया घर या नया वाहन खरीदना चाहते हैं तो इस समय ले सकते हैं. छात्रों के लिए समय बेहतरीन है आपको अपनी रचनात्मकता को लोगों के सामने लाने की जरुरत है।
उपाय: गौ माता को हरा चारा खिलाएं।
तुला- शुक्र देव आपकी राशि से चतुर्थ भाव में संचरण करेंगे।शुक्र का यह गोचर आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है. पारिवारिक जीवन में आपके रिश्ते इस दौरान सुधरेंगे।अगर आप अपने परिवार से दूर रहते हैं तो इस समय घर जाने का प्लान बना सकते हैं. वहीं इस राशि के कुछ लोग इस दौरान नया घर या वाहन खरीदने के बारे में विचार कर सकते हैं।नौकरी पेशा से जुड़े लोग अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में इस दौरान सफल होंगे।
उपाय: शुक्र के बीज मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जाप करें.
वृश्चिक-शुक्र देव का गोचर आपकी राशि से तृतीय भाव में होने जा रहा है. इस दौरान जीवन की आपाधापी से हटकर खुद को समय देना आपके लिए बहुत आवश्यक है।पारिवारिक जीवन में आप खुशियां बांटते नजर आएंगे, अपनी परेशानियों को छुपाने में और दूसरे के गम को दूर करके आप आत्मसंतुष्टि पाएंगे। प्रेम के एहसास से जो लोग अब तक रू-ब-रू नहीं हुए हैं उनकी मुलाकात इस दौरान किसी खास शख्स से हो सकती है। नौकरी पेशा लोगों के लिए समय थोड़ा चुनौतीपूर्ण रह सकता है।काम की अधिकता आपको मानसिक तनाव दे सकती है.
उपाय:-नियमित रूप से सूर्य देव को जल अर्पित करें.
धनु- शुक्र ग्रह के इस गोचर के दौरान आपका द्वितीय भाव सक्रिय अवस्था में रहेगा। आप धन की बचत करते हैं और धन कमाने की कोशिशें करते हैं, लेकिन यह ऐसा समय है जब आपको धन से जुड़ी समस्याएं नहीं आएंगी। आपकी पूंजी में इजाफा होने की इस दौरान पूरी संभावनाएं हैं। आपके परिवार में किसी मांगलिक कार्य का आयोजन भी इस समय हो सकता है। आपका जीवनसाथी इस समय आपके प्रति आकर्षण महसूस करेगा और आपको उनके साथ रोमांटिक पल बिताने का पूरा वक्त मिलेगा।
उपाय:-कन्याओं में सफेद बर्फी वितरित करें.
मकर-शुक्र देव का गोचर आपके प्रथम भाव या लग्न भाव में होगा. यह गोचर आपके लिए अच्छा रहेगा।इस राशि के लोगों की लव लाइफ अच्छी रहेगी. जीवन में आ रही आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए आप इस समय आपने जीवनसाथी के साथ मिलकर कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। इस राशि के जो लोग कला और सौंदर्य के व्यवसाय से जुड़े हैं उन्हें आर्थिक लाभ होने की पूरी संभावना है। भाई-बहनों से किसी बात को लेकर आपकी अन-बन हो सकती है लेकिन जल्द ही आप इसका हल भी निकाल लेंगे।
उपाय:- शुक्र के बीज मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का जाप करें।
कुंभ- शुक्र देव का गोचर आपकी राशि से द्वादश भाव में होगा. इस गोचर के दौरान आप खूब खर्च कर सकते हैं. कारोबारियों के लिए यह गोचर बेहतरीन रहेगा खासकर उन कारोबारियों के लिए जिनका व्यापार विदेशों से जुड़ा है. स्वास्थ्य को लेकर आपकी चिंताएं बढ़ सकती हैं, आपको अपनी व्यस्त दिनचर्या से वक्त निकालकर अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की जरुरत है।
मीन-शुक्र ग्रह का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव में होगा. यह गोचर आपकी कई आर्थिक चिंताओं को दूर कर देगा क्योंकि इस गोचर के दौरान आपको धन लाभ होने की पूरी संभावनाएं हैं।नौकरी पेशा लोगों को उनके काम के लिए कार्यक्षेत्र में इस समय सराहना मिलेगी. इस समय आप जरूरतमंदों की मदद करने के लिए धन खर्च कर सकते हैं. आपके द्वारा किए गए इन कामों से आपको मानसिक शांति मिलेगी। छात्रों के लिए यह समय अच्छा है अगर आपने किसी प्रतियोगी परीक्षा में हिस्सा लिया है तो इस दौरान आपको सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।
उपाय:-हनुमान जी की आराधना करें।