पंचकूला - अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता- उत्तर भारत में पहली बार अखंड होम आत्मक श्री राम यज्ञ श्री राम कथा का आयोजन सेक्टर 2 राम मंदिर में हो रहा है जिसके चतुर्थ दिन कथा व्यास परम वंदनीय पूज्य श्री राजेंद्र प्रसाद पांडे जी महाराज ने आज राम विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि त्रेता युग में युग में पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर था। उस समय मुनि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा करने के उद्देश्य से अयोध्या के महाराज दशरथ से उनके पुत्रों राम एवं लक्ष्मण जी को माँग कर ले गए। यज्ञ की समाप्ति के पश्चात विश्वामित्र जी जनक पुरी के रास्ते से वापसी आने के समय राजा जनक के सीता स्वयंवर की उद्घोषणा की जानकारी मिली। मुनि विश्वामित्र ने राम एवं लक्ष्मण जी को साथ लेकर सीता के स्वयंवर में पधारें। सीता स्वयंवर में राजा जनक जी ने उद्घोषणा की जो भी शिव जी के धनुष को भंग कर देगा उसके साथ सीता के विवाह का संकल्प कर लिया। स्वयंवर में बहुत राजा महाराजाओं ने अपने वीरता का परिचय दिया परन्तु विफल रहे। इधर जनक जी चिंतित होकर घोषणा की लगता है यह पृथ्वी वीरों से विहीन हो गयी है , तभी मुनि मुनि विश्वामित्र ने राम ने राम को शिव धनुष भंग करने का आदेश दिया। राम जी ने मुनि विश्वामित्र जी की आज्ञा मानकर शिव जी की मन ही मन स्तुति कर शिव धनुष को एक ही बार में भंग कर दिया। उसके उपरान्त राजा जनक ने सीता का विवाह बड़े उत्साह एवं धूम धाम के साथ राम जी से कर दिया। साथ ही दशरथ के तीन पुत्रों भरत के साथ माध्वी, लक्ष्मण के साथ उर्मिला एवं शत्रुघ्न जी के साथ सुतकीर्ति का विवाह भी बड़े हर्ष एवं धूम धाम के साथ कर दिया। इसके बाद महाराज जी ने गृहस्थ जीवन की के बारे में बताया कि कैसे इंसान को अपना ग्रेस जीवन चलाना चाहिए और उस को आगे बढ़ाना चाहिए इसी तरह उन्होंने श्री राम के बनवास के बारे में भी कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि श्री राम ने माता पिता की आज्ञा मानकर वह वनवास चले गए और 14 वर्ष का वनवास काट इस मौके पर संस्था के संरक्षक बृजलाल गर्ग पवन मित्तल तेजपाल गुप्ता अशोक जिंदल बृजलाल गुप्ता विजय अग्रवाल विजय गर्ग अशोक अग्रवाल अशोक गुप्ता यशपाल गोयल मदनलाल जिंदल कैलाश मित्तल श्याम लाल बंसल जीवन जिंदल मेघराज गर्ग व अन्य लोग उपस्थित हुए