पंचकूला ,5 नवम्बर- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता- उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने कहा है कि पंचकूला जिले में पराली न जलाने को लेकर 183 गांवो स्तरीय जागरूकता शिविर लगाये जा चुके है। बरवाला व रायपुररानी खंड के गांवो में मोबाइल वेन के माध्यम से किसानो में जागरूक किया गया है। श्री आहूजा हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आंनद अरोड़ा द्वारा सभी जिलों के उपायुक्तो की विडियों कोन्फ्रैसिंग के बाद अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पराली न जलाने की मुहीम में गांवो के सरपंचों को भी शामिल कर उनकी जिम्मेदारी निश्चित करे। बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिये जिला में 20 सितंबर से 5 अक्तूबर तक फसल अवशेष सीआरएम यानी फसल अवशेष प्रबधंन पखवाड़ा भी मनाया गया था, जिसमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक किया गया। उन्होंने बताया कि अभी तक 18 जगहों पर फसल अवशेष जलते पाये गये है, जिसमें से 14 व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाही अमल में लाई गई है और शेष के मुकदमा दर्ज करवाया जायेगा।
जिला के बरवाला खंड के गांवों भगवानपुर, पलसारा, बीर फिरोजारी में व रायपुररानी खंड के गांवों रायपुररानी, गोलपुरा में 5 नवंबर को ग्राम सभाओं की बैठक आयोजित करके किसानों को पराली न जलाने के संबंध में जागरूक किया गया। इसके लिए उपायुक्त ने पंचायत विभाग के अधिकारियों को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभिन्न खंडों के लिए गांवों का शैड्यूल भी जारी कर दिया गया है।
उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि खेतों में पराली जलाने पर रोक लगाई गई है और इस संबंध में किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा पराली प्रबंधन कृषि उपकरण भारी-भरकम अनुदान पर किसानों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसके बावजूद यदि किसान अपने खेतों में पराली को आग लगाते हैं तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। किसी भी व्यक्ति को प्रदूषण फैलाकर आमजन के लिए समस्याएं पैदा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों को आग लगाने से जमीन व पर्यावरण को क्या नुकसान होता है, इसके संबंध में किसानों को जागरूक करने के लिए ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाएगा।
उन्होंने सभी खंडों के बीडीपीओ को निर्देश दिए हैं कि वे ग्राम सभाओं में प्रस्ताव पास करवाएं कि गांव का कोई भी किसान फसल अवशेषों में आग नहीं लगाएगा। इतना ही नहीं, गांवों में कूड़ा जलाने पर भी प्रतिबंध लगावाया जाए। उन्होंने बताया कि पराली में आग लगाने से इससे उत्पन्न होने वाला धुआं पर्यावरण को काफी अधिक नुकसान करता है और आमजन के साथ-साथ यह जीव-जंतुओं तथा पेड़-पौधों के लिए भी हानिकारक है। इससे जमीन में मौजूद मित्रकीट भी नष्ट हो जाते हैं तथा भूमि की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है।
उपायुक्त ने जिला के किसानों से आह्वान किया है कि वे अपने फसल अवशेषों में आग न लगाएं बल्कि इसका वैज्ञानिक तरीके से मशीनों के माध्यम से प्रबंधन करें। ऐसा करके उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो सकती है तथा वे जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते हैं। पराली प्रबंधन के लिए किसान कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं जिनके माध्यम से उन्हें सरकारी योजनाओं की भी जानकारी आसानी से मिल जाएगी।
अतिरिक्त उपायुक्त मनिता मलिक, एसडीएम सुशील कुमार, एसडीएम कालका राकेश संधू, नगराधीश नवीन कुमार आहूजा, डीडीपीओ कुंवर दमन सिंह, डीआरओ रामफल कटारिया अनेकों सबंधित अधिकारी उपस्थित थे।