रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर शुक्रवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही. श्री रामजन्मभूमि पुनरुत्थान समिति के वकील पी.एन. मिश्रा ने अदालत में अपनी दलील पूरी की, जिसमें उन्होंने कई तथ्यों को सामने रखा. इस दौरान उन्होंने कोर्ट में बताया कि उस स्थान में आखिरी नमाज़ 16 दिसंबर 1949 को हुई थी, जिसके बाद दंगे हो गए थे और उसके बाद प्रशासन ने नमाज़ बंद करवा दी थी.
शुक्रवार को पी.एन. मिश्रा की दलीलें खत्म हुईं, उन्होंने इस दौरान कोर्ट में कुछ पुरानी किताबों के हिस्सों का भी जिक्र किया. वकील ने कोर्ट में कहा कि सन् 1934 से 1949 के दौरान बाबरी मस्जिद वाली इमारत की चाभी मुस्लिमों के पास रहती थी लेकिन पुलिस अपने पहरे में जुमा की नमाज़ के लिए खुलवाती थी, सफाई होती और बाद में नमाज़ होती थी.
वकील ने कहा कि हालांकि इस दौरान बैरागी साधु शोर मचाते और नमाज़ में खलल पड़ता था, तनाव बढ़ता था. वकील ने कोर्ट में कहा कि 22-23 दिसंबर की रात जुमा के लिए नमाज़ की तैयारी तो हुई लेकिन नमाज़ नहीं हो पाई.
पीएन मिश्रा ने दावा किया कि हिंदू कई वर्षों से वहां पूजा करते आ रहे हैं, ऐसे में मुस्लिमों का कब्जा वहां पर नहीं रहा. वो इमारत हमारे (हिंदू) कब्जे में थे, मुसलमान शासक होने की वजह से वहां पर जबरदस्ती नमाज की जाती थी.
पीएन मिश्रा ने कोर्ट में कहा कि 1856 से पहले वहां कोई नमाज नहीं होती थी, 1934 तक वहां सिर्फ जुमे की नमाज़ होती रही है. गौरतलब है कि पीएन मिश्रा पिछले दो दिनों से अदालत में तकरीर कर रहे थे, जिसके बाद शुक्रवार को उनकी दलील खत्म हुई. सुप्रीम कोर्ट हफ्ते में पांच दिन इस मामले को सुन रहा है. शुक्रवार से हिंदू महासभा के वकील अपनी दलील शुरू करेंगे.