मोहाली-- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता-- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री राधा कृष्ण मंदिर फे ज-२ मोहाली में आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम के दौरान श्री आशुतोष जी महाराज जी की शिष्या साध्वी करमाली भारती जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन की तुलना दूसरों से करने लग गया है और इसी तुलनात्मक दृष्टिकोण की वजह से ही आज हमारे जीवन का तराजू असंतुलित हो गया है। मैक्स इहरमैन ने बहुत सुंदर कहा कि यदि आप अपने आपकी तुलना दूसरों से करते हैं तो हो सकता है कि आप दु:खी और चिड़चिड़े हो जाएँ, क्योंकि आपको सदैव अपने से कोई उपर या नीचे मिल ही जाएगा। तुलनात्मक दृष्टिकोण के कारण आज अधिकतर युवा और बच्चे टेंशन और डिप्रेशन का शिकार बन चुके हैं। इसके पीछे बहुत बड़ा हाथ माँ-बाप का है। वे जब अपने बच्चे को उत्साहित करने की बजाय उसके दोस्तों से उसकी तुलना करते हैं तो बच्चों का आत्म विश्वास इतना गिर जाता है कि कई केसों में उन्हें आत्महत्या करने से ज्यादा आसान कार्य और कोई नहीं लगता। इसलिए तुलनात्मक नजरिये के कारण हमारी किसी भी कामयाबी या खुशी का नाकामयाबी या दु:ख में बदलते देर नहीं लगती। इस तुलनात्मक दृष्टिकोण को खत्म करना बहुत जरूरी है।
साध्वी जी ने कहा कि जब भी आप खुद या कोई दूसरा आपकी तुलना किसी के साथ करे, तो आप अपना आत्मविश्वास न खोएँ। किसी के गुणों को देखकर निराश न हों। क्योंकि आप उस व्यक्ति के केवल एक पहलू को देख रहे हैं। उसके एक गुण से आप अपने सम्पूर्ण जीवन को तोल डालते हैं। हो सकता है, आपमें दूसरे बहुत से गुण हों। बेवजह अपने आपको हीन न समझे, इसलिए दूसरों की क्षमताओं से प्रेरणा लें, न कि डिप्रेशन का शिकार हों। अपनी तुलना औरो से नहीं, खुद से करें। सदैव मंथन करते रहें कि किस प्रकार आपका आज आपके बीते कल से अच्छा बन सके।