मोहाली- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता- श्री हनुमान मंदिर कमेटी, फेज-6 मोहाली द्वारा मार्कीट ग्राउंड, फेज-6 मोहाली में सात दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के छठे दिवस के अंतर्गत दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी रूपेश्वरी भारती जी ने भगवान शिव के श्रृंगाार में छिपे आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया। भगवान शिव के अद्भुत् और विलक्षण श्रृंगाार को साधारण बुद्धि से समझ पाना कठिन ही नही, असंभव भी है। एक पूर्ण तत्ववेता सद्गुरू की कृपा से ब्रह्मज्ञान प्राप्ति के पश्चात ही समझ आता है कि भगवान शिव के हर वस्त्र और अलंकार में एक इशारा है, जो प्रत्येक मानव को जड़ शिव से चैतन्य शिव को प्राप्त करने का संदेश दे रहा है। भगवान भोले नाथ के गले में लिपटे सर्प ये इशारा करते हैं कि कैलाशपति का दर्शन कर काल और माया को जीतने की कोशिश करें। तन पर लगी भस्म और नर कपोलों को धारण कर भगवान शिव जीवन की नश्वरता के बारे में जागरूक करते हैं कि समय के रहते-रहते मानव जीवन के परम ध्येय ईश्वर की प्राप्ति कर लो। जीवन में आने वाली विपत्त्यिों, संघर्षो से कई बार इंसान घबराकर आत्म हत्या कर लेता है या नशे जैसी बुराई में लग जाता है। परन्तु भोले नाथ जटाओं को इकठ्ठा कर सुन्दर मुकुट के रूप में सुशोभित कर समझाते हैं कि अपने बिखरे हुए मन को ब्रह्म-केन्द्र पर इकट्ठा करें। ब्रह्म के अन्र्तघट में दर्शनों के पश्चात ही मन ईश्वर में एकचित्त हो सकता है। इसके लिए एक ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरू की शरणागति की आवश्यकता है जो स्वयं ईश्वरीय अनुभूति कर चुके हों। इसके अतिरिक्त्त सुमधुर भजनों और चौपाईयों का भी गायन किया गया। छठे दिवस कथा को विराम प्रभु की पावन आरती द्वारा दिया गया। प्रभु की पावन आरती में कमेटी के सभी सदस्यों एवं संगत ने भाग लेकर प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त किया।