मोहाली- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता-- श्री हनुमान मंदिर कमेटी, फेज-6 मोहाली द्वारा मार्कीट ग्राउंड, फेज-6 मोहाली में सात दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसके प्रथम दिवस में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्या साध्वी रूपेश्वरी भारती जी ने कहा कि शिव महापुराण एक विलक्षण व दिव्यता से परिपूर्ण ग्रंथ है। शिव महापुराण की कथा मानव जाति को सुख समृद्धि व आनंद देने वाली है। क्योंकि भगवान भूतों के अधीश्वर साक्षात् परमात्मा हैं। जो समस्त जीवों को आत्म ज्ञान देकर ईश्वर से जुडऩे की कला सिखाते हैं।
साध्वी जी ने बताया कि भगवान भोलेनाथ की कथा में गोता लगाने से मानव की प्रभु की प्राप्ति होती है। लेकिन कथा सुनने व उसमें उतरने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है लेकिन इसमें उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता है। चंचुला नाम की स्त्री को जब संत का संग मिला वह शिव धाम की अनुगामिनी बनी। एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई है। संत की कृपा से लंकिनी के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ। संत के चरणों का प्रताप ही ऐसा है कि अहिल्या, शबरी जैसे भक्त इसे प्राप्त कर सहज ही भवसागर से पार हो गये। संत के संग से ही मरूस्थल जीवन में बहार आ जाती है। नीरस जीवन सरस बन जाता है। विकारों से परिपूर्ण ह्रदय ईश्वरीय भक्ति से भर जाता है। भगवान शिव भी सत्संग का महत्व माँ पार्वती को बताते हुए कहते है कि उसकी विद्या, धन, बल, भाग्य सब कुछ निरर्थक है जिसे जीवन में संत की प्राप्ति नहीं हुई। परन्तु वास्तव में सत्संग कहते किसे हैं। सतसंग दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात् मिलन की और इंगित करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्थ है। इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अग्रसर होना चाहिए, जो हमारा मिलाप परमात्मा से करवा दे। प्रथम दिवस कथा को विराम प्रभु की पावन आरती से दिया गया। प्रभु की पावन आरती में कमेटी के सभी सदस्यों एवं संगत ने भाग लेकर प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त किया।