संस्कृत के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पंजाब विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर यूजीसी एमिरेटस डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय को 4 अप्रैल, 2019 को राष्टऊपति सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया।
प्रो. उपाध्याय का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद में प्रतिष्ठित सरयूपारीण वैदिक विद्वान् पं.श्रीरामजीवन उपाध्याय जी के घर में 7 फरवरी 1947 को हुआ। विश्वख्याति प्राप्त डा. उपाध्याय संस्कृत वेद में डी.फिल् एवं धर्मशास्त्र हिन्दू विधि विषय में डी. लिट्, वेद, दर्शन, धर्मशास्त्र, साहित्य, तन्त्र, न्याय एवं दण्डव्यवस्था आदि के मर्मज्ञ एवं उत्कृष्ट विद्वान् हैं। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय चण्ड़ीगढ़ में 40 वर्ष तक अपनी सेवाएँ दी और संस्कृत विभाग के प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए। तदनन्तर श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली में शास्त्री, आचार्य एवं विशिष्टाचार्य की कक्षाओं में तीन वर्ष तक संस्कृत माध्यम से अध्यापन किया। आपको यूजीसी वरिष्ठ अध्येतावृत्ति, शास्त्रचूडामणि भी प्राप्त हुई। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा आप हिमाचल प्रदेश की आदर्श संस्कृत संस्था के अध्यक्ष बनाए गए। इनके वैदुष्यपूर्ण शोधकार्य से प्रभावित होकर अनेक राष्टऊीय और अन्तर्राष्टऊीय संस्थाओं द्वारा उन्हें राष्टऊीय और अन्तर्राष्टऊीय स्तर पर सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। इन्ही उपलब्धियों के आधार पर आठ स्वर्ण पदक और 33 सम्मान भी प्राप्त किए।
इसके अतिरिक्त 100 से अधिक संस्कृत के शास्त्रीय सम्मेलनों में इनकी सहभागिता रही, 26 अन्तर्राष्टऊीय सम्मेलनों एवं शोध संगोष्ठियों में अध्यक्षता की, उनके 15 शोधपरक एवं मौलिक ग्रन्थ तथा 100 शोधपत्र प्रकाशित हुए तथा इनके निर्देशन में 70 शोध छात्रों ने एम. फिल. व 60 ने पी.एच.डी. की उपाधि ग्रहण की। वर्तमान में ये अनेक समितियों के अध्यक्ष व सदस्य भी हैं। संस्कृत के प्रति इनकी निष्ठा, योगदान, प्रचार व प्रसार से अभिभूत होकर महनवपूर्ण योगदान के लिए दूरदर्शन ने 22 मार्च, 2012 को एक घण्टे का विशेष कार्यक्रम शख्सियत भी प्रसारित किया है। इन्होंने अनेक बार रेडियो टॉक भी दिए हैं, जिनका उद्देश्य संस्कृत को विश्वव्यापी बनाना रहा है। मानव संसाधन राज्यमंत्री सम्मानीय महेंद्र नाथ पांडेय द्वारा काशीविद्वत्परिषद् में विद्वद्भूषण अलंकरण से तथा अन्तर्राष्टिऊय मानवाधिकार संरक्षण ब्यूरो की ओर से फिजी के राजदूत डा. प्रभाकर झा के द्वारा उन्हें मानवाधिकार रत्न अलंकरण से सम्मानित किया गया।
हरियाणा संस्कृत अकादमी हरियाणा सरकार की अनेक महनवपूर्ण समितियों में सदस्य के रूप में प्रो. उपाध्याय जी का सक्रिय योगदान रहा है तथा हरिप्रभा शोधपत्रिका में सलाहकार के रूप में भी कार्य करते आ रहें हैं। गुरुकुल मनसादेवी परिसर के संरक्षक के रूप में दायित्व निभा रहे हैं।