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Haryana

अपने भीतर महाराणा प्रताप को स्थापित-जागृत करें युवा : डॉ. चौहान

January 20, 2020 09:18 PM

अंबाला छावनी।- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता- स्वाभिमान और स्वराज की रक्षा के लिए कोई भी कीमत अदा करने के लिए तैयार रहना महाराणा प्रताप के सच्चे अनुगामी होने की पहली शर्त है। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने सनातन धर्म महाविद्यालय अंबाला छावनी के सभागार में आयोजित एक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में डॉ चौहान मुख्य अतिथि थे जबकि इसकी अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ राजेंद्र सिंह ने की। युवी सिंह ने इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि बीज वक्तव्य दिया।
डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप और उनकी श्रेणी में आने वाले दिव्य महापुरुषों की जयंती अथवा पुण्यतिथि मनाना पर्याप्त नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि नई पीढ़ी उन सिद्धांतों और आदर्शों को अपने जीवन में उतारे, जिनके लिए महापुरुषों ने अपने जीवन काल में संघर्ष किया। डॉ चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप के सामने विदेशी हमलावर मुगलों की सांकेतिक अधीनता स्वीकार कर अनंत सत्ता सुख भोगने का रास्ता खुला हुआ था। हर प्रकार का प्रलोभन देकर महाराणा प्रताप को उनके स्वातंत्र्य का समर्पण करने के लिए तैयार करने का प्रयास किया। इस वैचारिक लड़ाई में भी जीत महाराणा प्रताप की हुई और शानदार भारतीय परंपराओं का निर्वहन करते हुए महाराणा प्रताप ने गिरीकंद राव में रहना और घास की रोटी खाना स्वीकार करते हुए उस दौर के दिल्ली दरबार के सभी प्रलोभन को कड़ाई से ठुकरा दिया। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष ने सभागार में उपस्थित कॉलेज के विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने अंतर्मन को टटोल कर देखें कि उनके अन्दर महाराणा प्रताप जीवित हैं अथवा नहीं। डॉ चौहान ने युवाओं का आवाहन किया कि वे अपने भीतर महाराणा प्रताप को न केवल जागृत करें बल्कि प्रबल बनाएं क्योंकि आज भी देश के सामने ऐसी कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं जिनकी तुलना महाराणा प्रताप के जमाने के मुगलिया आतंकवाद से की जा सकती है। डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र की सरकार और हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में काम कर रही राज्य सरकार भारत के महापुरुषों के सम्मान की बहाली के लिए हर संभव कार्य करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेज और वामपंथी इतिहासकारों ने भारत के गौरवशाली पन्नों को सिकोड़ने और सम्राट पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, गुरु तेग बहादुर, बंदा वीर बैरागी व दशम पिता गुरु गोविंद सिंह जैसी अद्वितीय विभूतियों को इतिहास की किताबों में ना के बराबर स्थान देने का सुनियोजित षड्यंत्र किया। एक साजिश के तहत पूर्व की सरकारें अपराध को लगातार संरक्षण देती रही। चरणबद्ध ढंग से इन ऐतिहासिक विसंगतियों को दूर करने का सिलसिला जारी है।
डॉ चौहान ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन और संघर्ष के विभिन्न आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर अपने दौर के स्वतंत्रता संग्राम को मृत्यु पर्यंत जारी रखा। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप मुगलों से जूझ रहे थे उस समय उनके अपने ही कुछ लोग उनके विरोधियों के साथ मिलकर उनके खिलाफ लड़ रहे थे। देश में आज भी परिस्थितियां उस दौर से मिलती-जुलती हैं। प्राचार्य डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि सनातन धर्म कॉलेज देश के महापुरुषों के साथ नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन लगातार करता रहता है। उन्होंने कॉलेज के विद्यार्थियों को महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए साधुवाद दिया और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों में हर संभव मदद प्रदान करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर आशुतोष अंगिरस ने इतिहास की विसंगतियों को दूर करने के लिए उसके पुनर्लेखन और विशेष रूप से हिंदुओं के इतिहास पर शोध पूर्वक नया लेखन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में पहुंचने पर मोहित चौहान, सौरव, प्रिंस कुमार,शतांशु, प्रवीण व विमल चौहान ने आयोजन समिति की ओर से सभी अतिथियों और वक्ताओं का स्वागत किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने कॉलेज के शिक्षकों प्रो शशि राणा, प्रो. अलका शर्मा, रमेश मदान, नितिन, नवीन गुलाटी, बलेश, प्रदीप चौहान, सुखदेव चौहान व प्रो. निर्भय सिंह को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गुरदीप चौहान सहित कई विद्यार्थियों ने भी विचार प्रकट किए। कार्यक्रम से पूर्व सभी मेहमानों को शौर्य और सम्मान की  प्रतीक पगड़ी भेंट की गई और सभी विशिष्ट जनों ने महाविद्यालय परिसर में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।

 
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