Chandigarh
हरियाणा का सीआईडी विवाद मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दोनों की राजनीति को करेगा प्रभावित-ईश्वर धामु जी की कलम से
January 17, 2020 09:29 PM
*चंडीगढ़।* हरियाणा में सीआईडी विभाग को लेकर मख्यमंत्री मनोहरलाल और गृहमंत्री अनिल विज में जो ठनी है, उससे भाजपा की आने वाले समय की राजनीति पर बड़ा प्रभाव पडऩे की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। मामला भाजपा के दिल्ली दरबार में पहुंच चुका है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने सीआईडी को गृह मंत्रालय से अलग करने की प्रक्रिया पर काम शुरू करवा दिया है। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर भाजपा दिल्ली चुनाव के बाद विचार करेगी। जबकि हरियाणा विधानसभा का सत्र 20 जनवरी से शुरू हेने जा रहा है। सम्भव है कि सीआईडी के बारे में कोई प्रस्ताव विधानसभा में लाया जाए? अब सीआईडी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दोनो के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। पर अनिल विज ने यह कह कर कि इस भागमभाग के पीछे कुछ ओर ही मंशा है, अपनी भावना व्यक्त कर दी। विज से जुड़े सूत्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री विज से गृहमंत्रालय भी वापिस ले सकते हैं। अब तो यह सभी जानते हैं कि अनिल विज को गृह मंत्रालय देकर भाजपा ने एक सोची समझी रणनीति के तहत दुष्यंत चौटाला के मुकाबले में खड़ा किया था। परन्तु पर जब विज ने अपने मंत्रालय की ताकतों का प्रयोग करना शुरू किया तो मुख्यमंत्री को लगा कि कहीं कोई गलती हो गई है। कहते हैं कि इस बारे उन्होने पार्टी आलाकमान को भी अवगत करवाया था। परन्तु कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नाड्डा ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी डाक्टर अनिल जैन की मामला सुलझाने की जिम्मेदारी लगा दी थी। अनिल जैन के हस्ताक्षेप के बाद उपरी तौर से मामला शांत नजर आने लगा पर अंदरखाने गृहमंत्री विज के दिमाग में कुछ आगे का चल रहा था। अब उन्होने ब्यान दे दिया कि उनके फोन टेप किए जा रहे हैं। इस ब्यान के बाद तो सरकार में हडक़म्प मच गया। यह मामला मुख्यमंत्री और विज के बीच अधिक उलझ गया है। समझा जाने लगा है कि अगर सीआईडी पर विधानसभा में कोई प्रस्ताव सरकार लाती है तो अनिल विज मंत्री पद से त्याग पत्र दे सकते हैं? इतना ही नहीं इस मुद्दे की तपत मुख्यमंत्री पर भी पड़ सकती है। क्योकि सीआईडी के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री मनोहरलाल टेंशन में चल रहे हैं। मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से दिल्ली में ही अधिक रहते हैं। वें दिल्ली दरबार में अपनी छवि को बरकरार रखने में लगे हुए हैं। उनके प्रयास कुछ परिणाम ला पाते इसी बीच सीआईडी का मामला उछल गया। अब फिर से मुख्यमंत्री मनोहरलाल इस पर पार्टी के शीर्ष नेताओं को सफाई दे रहे हैं। चर्चाकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के इस विवाद का पार्टी की छवि पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। अब दिल्ली चुनाव सामने है तो भाजपा का यह मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की छवि को सीधा प्रभावित करेगा। लेकिन अभी पाटी आलाकमान इस बारे चुपी साधे हुए हैं। दूसरी ओर हरियाणा में सत्ता में भाजपा की सहयोगी पार्टी जेजेपी के नेता इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से परहेज कर रहे हैं। इस विवाद से भाजपा का नागरिकता संसोधन कानून का जागरूकता अभियान भी पूरी तरह से प्रभावि हो रहा है। सभी पक्षों को मध्यनजर रखते हुए कहा जा सकता है कि सीआईडी विवाद में अनिल विज और मनेहरलाल दोनों की राजनीति प्रभावित हो रही है।