चंडीगढ़- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता- पंजाब के शहरवासियों में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने का ज्ञापन।कई दुर्भाग्यपूर्ण व्यक्तियों ने, तीन पड़ोसी मुस्लिम देशों में अमानवीय उत्पीड़न के कारण पंजाब में पलायन किया, जिसने उन्हें भारत में शरण लेने के लिए मजबूर किया। वे लंबे समय से बुनियादी नागरिक सुविधाओं से वंचित हैं और उप-मानव परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर हैं। उनके बच्चों और परिवारों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, घर, सुरक्षा आदि मिलना मुश्किल है। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस ज्ञापन के माध्यम से मानवीय आधार पर इस ज्ञापन में की गई प्रार्थनाओं पर अमल किया जाए। आजादी के बाद भारत ने विभिन्न देशों के शरणार्थियों को भारत के नागरिकों के रूप में कानूनी रूप से समायोजित करने के प्रयास किए हैं; श्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा 1950 में पहला, 1973 में श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा दूसरा और 2003 में उस समय के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा।
नागरिकता संशोधन बिल 9 "दिसंबर 2019 को लोकसभा, राज्यसभा में इसके पारित होने और माननीय राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने सहित इसके लिए सभी संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद एक कानून बन गया। सभी राज्य सरकारों द्वारा यह कानून लागू किया जाना है।
इसलिए, इस संवैधानिक स्थिति को स्वीकार करते हुए, अधिकांश राज्य अधिनियम को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। यह समाज के किसी भी वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है ।और किसी भी व्यक्ति की नागरिकता को नहीं छीनता है। यह एक सक्षम करने वाला अधिनियम है, जो उक्त व्यक्तियों को भारत के गौरवशाली नागरिकों के रूप में मानव सम्मान प्रदान करता है।
विश्व हिंदू परिषद पंजाब यह मांग करता है की नागरिकता संशोधन अधिनियम को पंजाब में शीघ्रता से लागू किया जाना चाहिए। अधिनियम के सुचारू कार्यान्वयन के लिए सभी सरकारी बुनियादी ढाँचे प्रदान करें।
इस अवसर पर मुख्य रूप से अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख माननीय रास बिहारी, पंजाब प्रांत संगठन मंत्री विजय पाल, प्रांत कार्याध्यक्ष हरप्रीत सिंह, प्रांत उपाध्यक्ष कर्नल धर्मवीर, प्रांत प्रचार प्रसार प्रमुख अनिल अरोड़ा प्रांत संपर्क प्रमुख सुतीक्षण,हरवीन सिंह और चंडीगढ़ विश्व हिंदू परिषद मंत्री सुरेश कुमार राणा उपस्थित रहे।