मोहाली, 6 दिसंबर--: अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता-- ‘ वायु प्रदूषण आजकल लगातार हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। 2.5 माइक्रोन से कम आकार का पार्टिकुलेट मैटर सबसे खतरनाक वायु प्रदूषक है। धुएं में मौजूद प्रदूषण के कण हमारे फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और कई कैमिकल रिएक्शंस को बढ़ाते हैं। प्रदूषण के कण कई नई बीमारियों को जन्म देते हैं और हमारा शरीर इन सब का खामियाजा भुगतता है। ’
डॉ सचिन वर्मा, सीनियर कंसल्टेंट-इंटर्नल मेडिसिन ने शुक्रवार को आईवी हॉस्पिटल, मोहाली में ‘एयर पॉल्यूशन से अपने स्वास्थ्य को कैसे सुरक्षित रखें ’ पर एक इंफॉर्मेटिव टॉक में ये बताया ।
उन्होंने कहा कि सबसे आम एयर पॉल्यूएंट्स धूल और निर्माण सामग्री हैं जो 73 प्रतिशत तक योगदान देते हैं, वहीं पराली जलाने से 17 प्रतिशत तक योगदान, ट्रांसपोर्ट से 17 प्रतिशत तक, डीजल जनरेटर 9 प्रतिशत तक, इंडस्ट्री 8 प्रतिशत तक और घरेलू खाना पकाने में उपयोगी की जाने वाली सामग्री 7 प्रतिशत तक योगदान करते हैं।
डॉ सचिन ने कहा कि ये सभी फाइन पार्टीकुलेट मैटर पीएम2.5 उत्पन्न करते हैं, जो रक्त प्रवाह में प्रवेश करने के बाद शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं और ये कई बीमारियों का कारण बनता है।
उन्होंने बताया कि धूम्रपान, प्रदूषण और पीएम 2.5 से जुड़ी सबसे आम बीमारियों में अस्थमा और सांस फूलना, टीबी, सामान्य स्वास्थ्य समस्याए त्वचा संक्रमण, आंखों की समस्याएं और कैंसर आदि शामिल हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल के बाद बचने वाली पराली वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। एयर पॉल्यूएंट्स में भारी धातुएं होती हैं जैसे पोटेशियम क्लोरेट, सल्फर, आर्सेनिक सल्फाइट, एल्यूमीनियम और तांबे जो हवा में फैलते हैं और जब दिसंबर और जनवरी के महीनों में कोहरा सेट होता है तो ये पार्टीकल्स स्मॉग (स्मोक एंड फॉग) बनाते हैं।
स्मॉग हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है और सर्दियों के महीनों के दौरान वृद्धि हुई बीमारियों के मुख्य कारणों में से एक है।
उपयोगी उपायों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अस्थमा या एलर्जी ब्रोंकाइटिस से पीडि़त लोगों को उन जगहों से बचना चाहिए जहां पर धू-धू कर जलने की आशंका सबसे अधिक होती है। धूम्रपान आदि भी बंद करना चाहिए, क्योंकि यह आपके फेफड़ों को स्वस्थ रखेगा ताकि वे वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव से लड़ सकें।
डॉ सचिन ने कहा कि लकड़ी या चूल्हा जलाने से बचें क्योंकि इससे काफी अधिक प्रदूषण होता है। यदि वायु प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है और आपको अभी भी बाहर जाने की आवश्यकता है तो मास्क पहनने पर विचार करें।
बाहर जाने से पहले एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) की जांच करें। एक्यूआई अगर 100 से अधिक है तो ये हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। एक्यूआई को ऑनलाइन चेक किया जा सकता है क्योंकि कई वेबसाइटों पर इसके लेवल के बारे में जानकारी अपडेट की जाती है। उन्होंने कहा कि जब स्तर कम होते हैं तो बेहतर होगा कि आप बाहर जाए और जब इनका स्तर अधिक हो तो घर के अंदर ही रहें।